शिक्षा व्यवस्था ! 1194 पदों, न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 12 के लिए 3 लाख Phd B Tech आवेदक !

1194 पटवारी पदों के लिए आए 3 लाख आवेदन : देश और प्रदेश में बेरोजगारी का यह आलम है कि लगभग 1200 पटवारी पदों के लिए प्रदेश में 3 लाख से अधिक आवेदन आए हैं । इस पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता कक्षा 12 है । इसके साथ ही इसके लिए आयु सीमा 45 वर्ष की है और न्यूनतम आयु 18 वर्ष है ।

अब आप विशेष बात समझें कि इसके लिए जहां कक्षा 12 उत्तीर्ण अभ्यर्थी चाहिए, वही  पर आवेदन करने वालों में पीएचडी, एमएससी, एमबीए, एमसीए, बीडीएस, बीटेक, बीकॉम, बीएसई, एमए और बीए करने वाले भी शामिल हैं। क्या यह इस देश की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह नहीं है ? वह शिक्षा व्यवस्था जिसे हमने अंग्रेजों के समय से ज्ञान के स्थान पर, नौकरी के लिए बना दिया हैं और उसके लिए भी उपयुक्त नहीं है ।

यदि कक्षा 12 पास विध्यार्थी है तो उसकी पढ़ने के बाद उम्र लगभग 18 वर्ष ही होगी । अब उसके लिए आयु सीमा 45 वर्ष रखने की क्या आवश्यकता है ? क्या आपके अनुसार एक अभ्यर्थी 18 वर्ष की आयु में शिक्षा समाप्त करके 27 वर्ष तक नौकरी की तलाश में अभी भटक ही रहा होगा ।

इस पटवारी के पद वेतनमान लगभग 10000 रुपये है । जो उसे मिलेंगे अपनी 18 महीने के प्रशिक्षण के बाद । मतलब आज की व्यवस्था के अनुरूप दस हज़ार की नौकरी के 1194 पदों के लिए लगभग तीन लाख अभ्यर्थी हैं । जिनके पास  न्यूनतम से कहीं अधिक तथाकथित शिक्षा है । अब इन सब युवाओं में से जो सरकारी संस्थाओं से पढे है, उनका शायद व्यय कुछ कम होगा परंतु वह सब बी टेक,  जिन्होने  से किसी भी निजी संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है , उनका तो लगभग 8 -10 लाख रुपये इसी शिक्षा लेने में लग गए । इसके साथ ही जवानी के 5 वर्ष लग गए वह अलग हैं ।

अब सरकार के लिए इसके आर्थिक पक्ष को समझें । जब आवेदनकर्ता को 300 रुपये का शुल्क देना पड़ता है तो सरकार के पास तीन लाख आवेदकों से लगभग 8 से 9 करोड़ रुपया जमा हो जाता है । उस परीक्षा की प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए आप लगभग 50 लाख का  अधिकतम खर्चा मान लीजिये । अर्थात सरकार के खजाने में फिर भी 7 करोड़  से अधिक रुपया जमा हो गया ।

पूरे 1200 चयनित युवाओं का सालाना खर्चा सरकार पर लगभग 14 करोड़ है अर्थात 6 महीने की पगार तो सरकार ने इसी परीक्षा से कमा ली है । और इस पर यदि कहीं कुछ धांधली या गड़बड़ी नज़र आई तो परीक्षा रद्द कर दी जाती है, जैसा कि अभी पुलिस कांस्टेबल की परीक्षा में हुआ था , फिर पुन: परीक्षा इत्यादि ।

अब यदि आप इसी बात को एक आवेदक के परिवेश से देखें तो पहले तो वह लगभग 20 22 वर्षों तक अध्ययन करता है, उसके बाद विभिन्न परीक्षाओं में बैठता है । अब इसी पटवारी की परीक्षा के लिए वह एक कोचिंग संस्थान मे 5000 से 12000 तक का शुल्क देता है । उसके बाद भी उसके सफल होने का परिमाण 0.4% से अधिक नहीं है । आप कल्पना करें कि इस देश के युवा को आप किस हद तक कुंठा से संघर्ष करवाना चाहते हैं ।

अन्त मे युवा की चिंता किसी को नहीं है । सरकार ने 7 करोड़ कमाया और विभिन्न कोचिंग संस्थानों ने लगभग 50 करोड़ कमा लिया और उसके बाद भी भविष्य सुरक्षित नहीं है । कल्पना करें 40 वर्ष कि उम्र के व्यक्ति जो इस पद के लिए परीक्षा दे रहा होगा । उसका भारतीय परिवेश में विवाह हो चुका होगा और उसकी एक या दो सन्तानें भी हो चुकी है ।

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