महामारी तत्परता संधि Pandemic Preparedness Treaty क्या है और आप पर क्या प्रभाव डालेगी ?

आइए कुछ शब्दों को पहले समझते हैं, फिर उन पर कुछ विस्तार से चर्चा करेंगे । इनमें से एक है संधि, एक है समझौता और एक है सलाहकार होना, या फिर सलाह देना । इस संधि को हम लोग अंग्रेजी में Treaty  कहते हैं । समझौते को अंग्रेजी में Agreement  कहा जाता है और सलाह को Advisory  कहा जाता है ।

 

पहले तकनीकी रूप से समझते हैं, सलाह आप किसी की भी ले सकते हैं । लेकिन जिसने आपको सलाह या राय दी है, वह मानना ना मानना आपकी इच्छा पर है । इसके बाद एक शब्द आता है समझौता, समझौता दो व्यक्तियों समुदायों देशों, या दो से अधिक व्यक्तियों देशों समुदायों में हो सकता है । समय पड़ने पर आपसी राय से बदल भी सकते हैं और इसके साथ निरस्त भी कर सकते हैं । परंतु ऐसी चीज जिसे आप संधि कहते हैं, आपके लिए कानूनी रूप से आपको बांध देती है। यदि आप इस संधि से बाहर जाते हैं, दूसरा पक्ष आपके ऊपर कानूनी कार्यवाही कर सकता है । वैसे कानूनी कार्यवाही तो समझौते पर भी होती है, लेकिन समझौता फिर भी आपसी सहमति से बदला जा सकता है । जबकि संधि एक तरीके से बंधन में दो या अधिक, व्यक्ति समुदाय देश इत्यादि को बांध देती है ।

 

अब आप यही समझे, आज में इसकी चर्चा क्यों कर रहा हूँ । कुछ दिनों के समाचारों को यदि हम देखें, और उनका विश्लेषण करें, आपको कुछ बातें पता लगेंगे । आपको यह तो पता ही है ओमी क्रोन के बाद, कोरोना का प्रकोप कम हो गया । फिर इसके बाद चुनाव होते हैं, लगभग 18 फरवरी को, विश्व के तथाकथित महमती विशेषज्ञ बिल गेट्स यह बताते हैं कि अभी महामारी, 6 से 8 महीने के अन्त तक आ जाएगी । उन्होंने यह भी बता दिया, यह महामारी कोरोना  परिवार से नहीं होगी, बल्कि किसी और परिवार से आई । कुछ ही दिनों बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अपने सदस्य राष्ट्रों को एक संधि प्रस्ताव भेजता है । जिसका की नाम है महामारी तत्परता संधि या समझौता । इसे अंग्रेजी में, Pandemic Preparedness Treaty या महामारी तत्परता संधि का नाम दिया गया है ।

सभी सदस्य देशों को इस संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया है । इसके साथ ही उनके लिए इस संधि या अनुबंध को हस्ताक्षर करके वापस भेजने की तारीख 1 अगस्त 2022 रखी गई है । यह सारा काम, अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन जिसे हम विश्व स्वास्थ्य संगठन कहते हैं उसमें करता है।  अभी जबकि विश्व में रूस और यूक्रेन में युद्ध हो रहा है । दोनों देशों के नागरिकों को, अपने स्वास्थ्य की चिंता भी करनी है । ऐसे में कोई आणविक शास्त्र उठा दिया जाता है । उससे होने वाले विकिरण से, पूरे विश्व में तबाही की नई शुरुआत हो सकती है । ऐसे समय में विश्व स्वास्थ्य संगठन, एक संधि के प्रस्ताव को लेकर के अपने सदस्य देशों के पास आया है । युद्ध को समाप्त होने की प्रतीक्षा भी नहीं  देखी जाती । यही आपको सब सामान्य लग रहा है ?

 

आइए  इस पर बात करते हैं, किस संधि अनुबंध के बाद क्या होगा ? अभी तक जब तथाकथित कोरोना महामारी आई थी । तब विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी देशों को कुछ दिशा निर्देश देता था । निर्देशों का पालन करना, उस देश की सरकारों पर निर्भर करता था । हालांकि अधिकांश निर्देश सभी सरकारों ने इसके लिए माने गए, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व बैंक परस्पर सहयोगी संस्थाएं हैं । यदि कोई देश विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना नहीं मानता तो  विश्व  बैंक बहुत सारे प्रतिबंध लगा सकता है, और उस देश को नए ऋण देने से मना कर सकता है । आप जानते  हैं सभी प्रगतिशील देशों, मैं अब की सरकार जो है है, नए अंतर्राष्ट्रीय ऋण ले कर अपना बजट चलाती है । इसका अर्थ यह हुआ, कोई भी सरकार इन संस्थाओं के विरोध में नहीं जा सकती ।

 

लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत बदलाव अपने स्तर पर कर लेती थी। उधर विश्व स्वास्थ संगठन कुछ कहता था, भारत की आईसीएमआर संस्था उसका अध्ययन करके अपने देश की दिशा निर्देश बताती थी । शत प्रतिशत वह विश्व  स्वास्थ संगठन को नहीं मानती थी, हालांकि अधिकांश निर्देश उनके द्वारा  ही दिए गए थे । इस संधि के होने के बाद, हर देश विश्व स्वास्थ्य संगठन को और उसके निर्देशों को मानने के लिए बाध्य हो जाएगा । विभिन्न सरकारें तब यह कहना  कहना शुरू कर देगी विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश को मानना हमारी मजबूरी है, इस देश को चलाने के लिए जरूरी है।

 

इससे बड़ा दुर्भाग्य देखें, एक संधि आई है जो भारत सरकार ने अगले 6 महीने में हस्ताक्षर करके देगी  । इसके लिए किसी भी टीवी चैनल पर, किसी समाचार पत्र में प्रमुखता से इसकी चर्चा नहीं है । देश का आम व्यक्ति, यहां तक के देश के सभी वर्ग के चिकित्सक इस संधि के होने वाली, प्रभाव पर दुष्प्रभाव की चर्चा नहीं करते । तारीख को  अगर आप समझे, बिल गेट्स ने 6 महीने बाद जो तारीख दी है, वह नई  महामारी आने की और इस संधि पर हस्ताक्षर करने की अंतिम तिथि लगभग वही है । इसका अर्थ अगली महामारी आने तक, भारत के चिकित्सा नीतियों पर पूर्ण रूप से विश्व  स्वास्थ्य संगठन का अधिकार हो जाएगा आउट भारत हर निर्देश को मानने के लिए बाध्य हो जाएगा । मैंने इससे  संबंधित  पिछले दिनों के समाचारों पर, जो वीडियो बनाए हैं आप उनको देख सकते हैं सब के सब वीडियो, पिछले दिनों की इंटरनेट में आए  समाचारों को जोड़कर बनाए गए हैं ।

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