HAPPY NEW YEAR ! Be HAPPY sure But KNOW some FACTS as well !!

तथाकथित नव वर्ष पर विशेष !

 

आज आप सबको भी नव वर्ष की शुभकामनाओं के संदेश आए और आप लोगों ने भी दिये होंगे । हर्ष और उल्लास के साथ इस दिन का हम लोग स्वागत करते हैं । पर यह नव वर्ष कहाँ से शुरू हुआ इस पर कुछ विरोधाभास भी है । यह तो निश्चित है की पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिनों मे करती है परंतु इसकी गिनती की शुरुआत कहाँ से की जाए ? जैसे जैसे मानवता आगे बढ़ी और तथाकथित प्रगति के लिए इसको मापने की ज़रूरत पड़ी । तब से नए वर्ष को माना गया । बहुत पहले RONAN Calendar बन जो लगभग 45 BC से आस्तित्व में आया। इस मे कुछ बदलाव करके JULIAN Calendar बनाया गया । और उसे लगभग सन 1582 में Gregorian Calendar, जो आजकल सर्वाधिक प्रचलित है, बनाया गया । अब आप समझें की यह इतने बदलाव क्यों किए गए । दरअसल पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे (आजकल की इकाई मे) में पूरा चक्कर लगाती है । मानव इस से ही पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष गति को जोड़ने की कोशिश करता रहा है । इसे ही परिपूर्ण करने में लगे रहे। परंतु सूर्य के इर्दगिर्द पृथ्वी के घूमने को पृथ्वी की अपनी धुरी की गति से पूरी तरफ से नहीं जोड़ा जा सका । इसके परिणाम स्वरूप आज भी Gregorian Calendar पूर्ण रूप से दोनों गतियों को जोड़ नहीं पाया । चलिये कोई बात नहीं अंत में यही निष्कर्ष निकलता है कि मानव आज भी प्रकृति या ईश्वर कुछ भी कहिए को पूण रूप से नहीं जान पाया । एक बात फिर भी रही कि Gregorian New Year प्रकृति से दूर ही रहा, और मात्र एक Calendar बन कर रह गया है ।



 

परंतु इसी समय से बहुत पहले से भारत देश ने अपनी वैज्ञानिकताओं के कारण सौर वर्ष और चंद्र वर्ष को समझा और उपयोग मे लाया। भारतीय नव वर्ष की परंपरा कई माने में प्रकृति से मेल खाती है । यह भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के नाम से जाना जाता है तो लगभग मार्च अप्रैल के महीने मे होता है । इस वर्ष इसकी तिथि 6 अप्रैल है । अब ज़रा समझे और ध्यान से देखें तो पता चलता है कि यही कृषि का नव वर्ष है । इसके साथ ही ऋतु परिवर्तन भी इसी समय आता है । इसके साथ ही हमारा शैक्षिक वर्ष या सत्र भी तभी शुरू होता है । देश में आज भी यह आर्थिक वर्ष के रूप में माना जाता है । अब आप देखें कितनी व्यवस्थाएं इस समय बदलती है । अब इसी प्रकार यदि आप अँग्रेजी वर्ष का विश्लेषण करें तो देखिये क्या मिलता है !

 

सप्तम्बर, अक्तूबर नवंबर और दिसंबर को आप देखें तो यह सातवाँ अंबर, आठवाँ अंबर, नवां अंबर और दसवां अंबर है । अब गिनती तो आप समझ गए हैं । अंबर यानि आकाश यानि प्रकृति की ही बात काही गयी है। इस तरह से भी जनवरी ग्यारवां और फरवरी बारवां महीना पड़ता है । तब भी देखिये मार्च का पहला महीने है जो आपके भारतीय वर्ष से मेल खाता है । अब बात करें तो जब सूर्य के आसपास घूमने के दिनों को व्यवस्थित करने कि बात आती है तो Gregorian Calendar मे फरवरी के महीने मे एक दिन बढ़ा दिया गया । अब सभी CA या लेखाकार यह जानते है कि विविध आय या व्यय को बैलेन्स शीट के अंत मे लिखा जाता है । इस प्रकार से भी फरवरी माह अंतिम माह कि गिनती में ही आएगा ।




आइये इसके अतिरिक्त आप विक्रमी संवत, तेलुगू नव वर्ष, मराठी नव वर्ष, तमिल नव वर्ष और मुस्लिम हिजरी संवत भी इसी समय के आसपास मनाएंगे । अब आप चीन को देखिये उनका नव वर्ष भी फरवरी के महीने में आता है । अब आप स्वयं देखिये । बंगाली लोग भी बैसाख के महीने में अपना नव वर्ष मनाते हैं । पंजाब के लोग भी बैसाखी को नव वर्ष मानते हैं । हमारे देश में भी जहां जहां के राजाओं ने सर्वाधिक विरोध किया था अंग्रेजों के राज्य उन सभी स्थानों पर विदेशी सत्ताओं नें ज़बरदस्ती से इस परंपरा को बढ़ाया था । आज भी उत्तर मे हिमाचल प्रदेश, दक्षिण मे केरल और तमिलनाडु में लोग अपने नव वर्ष अपनी परम्पराओं से मनाते है ।

 

मेरा विरोध इस वर्ष को मनाने पर कतई नहीं है पर हम इसके प्रारूप को पहचाने और अपनी सभ्यताओं को समझें ।

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