Digital Footprint : आज कुछ हद तक और भविष्य में यह आप पर शासन करेगा ! पीढ़ियों को बचाइए

प्रिय मित्रों,

आइए आज बहुत महत्वपूर्ण विषयय पर चर्चा करते हैं, यह एक ऐसी चीज है, जिसे हम सबको जानना जरूरी है । बहुत से लोगों को यह बात पता भी है परंतु इसका कितना लाभ या हानि है, जो महत्वपूर्ण चर्चा का विषय है । इसका नाम है डिजिटल फुटप्रिंट Digital Footprint । डिजिटल शब्द का हिंदी में कोई विशेष अनुवाद नहीं है, परंतु फुटप्रिंट का अर्थ आप समझ सकते हैं पैर के निशान । अब आप सोचे कि यह डिजिट में कहां से पैर के निशान है । दरअसल आप किसी भी इंटरनेट से संबंधित कोई काम करें चाहे आप फेसबुक का उपयोग करें, चाहे इंटरनेट वाले स्मार्टफोन को उपयोग करें चाहे आप व्हाट्सएप का उपयोग करें । इन सब में आपने जो जो किया यह एक बड़े सर्वर पर संभाल कर रखा जाता है ।

इस कारण से कोई भी चीज अब आपकी निजी नहीं रही । इस सूचना को कोई कैसे उपयोग में ला रहा है क्या भविष्य में ले आएगा इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते । मेरे कुछ मित्रों का विचार है क्या अगर आपकी सारी जानकारी कहीं पर एकत्रित हो रही है हमें क्या हानि है हम तो कुछ गलत नहीं कर रहे हैं । इससे हमें चिंतित नहीं होना चाहिए ।

आज हमें यह समझना पड़ेगा, एक समय पर जिसके पास जितनी बड़ी धरती होती थी, इतना बड़ा जमीदार अमीर व्यक्ति माना जाता था । कमोबेश यही स्थिति देशों की समृद्धि पर भी थी । एक राजा दूसरे राज्य से युद्ध करके उस पर अपना आधिपत्य जमाते थी । फिर थोड़ा समय बदला और यह महत्वपूर्ण हुआ किसके पास कितनी धनसंपदा है, एक समय वह भी आया, जब यह माना जाता था जिसके पास बड़े हथियार वही महाशक्तिशाली । दूसरे विश्व युद्ध के समय यही स्थिति थी । उसके अगले दशक में यह देखा गया जिसके पास जितना तकनीकी ज्ञान है वही उतना बड़ा  महाशक्तिशाली । चलते चलते आज यह स्थिति आ गई जिसके बाद जितना ज्यादा डाटा है वह महा शक्तिशाली ।

आप देख चुके उद्योगपति एलन मस्क ने  4200 करोड़ डॉलर में ट्विटर नाम की कंपनी को खरीद लिया । यदि महाराष्ट्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश को छोड़ दिया जाए तो भारत के कसी भी प्रदेश का बजट 4200 करोड़ डॉलर से अधिक नहीं है । कंपनी के पास क्या है, सिवाय आप की समस्त जानकारी के और कुछ भी नहीं। आपने कब-कब क्या विचार व्यक्त किया, कब-कब आप किस विचार के विरोध में खड़े हुए और कब कब किस के समर्थन में खड़े हुए बस यही जानकारी ट्विटर के पास है।

इससे आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं, इस डाटा का बाजार कितना बड़ा है । आपको मालूम हो या ना मालूम हो, परंतु आपको आज अदृश्य आंख से देखा जा रहा है और उसी आंख से आप पर नियंत्रण किया जा रहा है । आप यदि इंटरनेट के ऊपर, किसी विशेष प्रकार की पोशाक, खाने पीने का सामान, किसी बीमारी का ज्ञान इत्यादि लेने की कोशिश करते हैं । तो उससे अगली बार जैसे ही आप इंटरनेट को खोलते हैं आपकी पिछली की हुई जांच से संबंधित जानकारी आपके परोस दी जाती है । इसका सीधा सा अर्थ है कि तीसरी आंख में पिछली बार आप क्या कर रहे हो बहुत देख लिया, अगली बार उससे संबंधित जानकारी आपको दी । अब यहां पर प्रश्न उठता है जो जानकारी आपको मिल रही है कितनी प्रमाणिक है ? क्या ऐसा नहीं हो सकता किसी उद्योगपति व्यवसाई ने आपके सामने अपने लाभ की जानकारी परोस दी । और आपको लगा यही सत्य है ।

आपके डेटा का उपयोग, कोई उद्योगपति या नेता अथवा वैश्विक शक्ति अपने  तरीके से कर सकता है ।

धीरे-धीरे आपके डेटा के उपयोग से आपके मन पर नियंत्रण का खेल चल रहा है । जब तीसरी आँख देखती है कि  बार-बार किसी धर्म संबंधित विषय को आप टटोलते है और आप  क्या आप किस प्रकार की धार्मिक बातों में रुचि रखते हैं । आपकी रुचि को ध्यान में रखकर वह धीरे-धीरे धार्मिक उद्योग को बढ़ाता है, जिससे आप अपने जीवन की वास्तविक मूल्यों से दूर हो जाते हैं और तीसरी आंख अपनी इच्छा अनुसार आपको सोचने पर मजबूर करती है ।

क्योंकि यह एक बहुत बड़ा वैश्विक षड्यंत्र है । आज शायद आपको लगे क्या आपने पिछली बार गूगल पर जो ढूंढा था उसका उत्तर आपको गूगल महादेव ने दे दिया । परंतु अब यह नहीं जानते गूगल महादेव ने जो कुछ भी कहा वह कितना सत्य अथवा आवश्यक था । और यहीं पर आपको अपनी मानसिक परिपक्वता का परिचय देना है । यदि आज हम अपनी पीढ़ियों को यह नहीं समझा पाए, कल को तीसरी आंख सब पर अपना मानसिक शासन कर लेगी ।

 

यह तो रही किसी उद्योगपति द्वारा आपकी जानकारी को, प्रयोग में लाने की विधि । इसके अतिरिक्त सरकारों ने भी आज इंटरनेट पर समाचार डाल कर अपनी प्रकार से उनके कर्तव्यों की इतिश्री हो गई । क्योंकि मैं शिक्षा से संबंधित हूं आपको एक जानकारी देता हूं । आप कभी भी इंटरनेट पर ढूंढिए के भारत में कितनी जाली विश्वविद्यालय हैं । आपके पास सरकार द्वारा जारी की गई सूची मिल जाएगी । अब सरकार इंटरनेट पर डालकर कहती है कि देश के विद्यार्थियों,  आप इस जाली विश्वविद्यालय में प्रवेश न लें । क्योंकि कल को इस विश्वविद्यालय को मान्यता नहीं मिली है और आपकी degree आपके किसी काम नहीं आएगी । भारत सरकार कुल विश्वविद्यालय को बंद नहीं करती । मतलब उनकी इमारत, उनका दफ्तर उनका पता इंटरनेट पर विद्यमान है । आप जाएंगे तो उस विश्वविद्यालय में लोग आपको प्रवेश दिलाने के लिए भी तैयार है । आपको शायद उम्मीद होगी कि सरकार इस प्रकार के विश्वविद्यालय को क्यूँ  चलने दे रही है । सरकार का उत्तर स्पष्ट है हमने तो आपको आगाह कर दिया है कि यह जाली विश्वविद्यालय में प्रवेश न लें ।

आप समझ सकते हैं जिन उद्योगपतियों के यह विश्वविद्यालय हैं, उन पर सरकार नकेल नहीं करती। आप सीधा समझ सकते हैं लोकतंत्र की सरकारों को चुनाव लड़ने के लिए धन की आवश्यकता होती है । भारतीय विद्यार्थी को अपने विश्वविद्यालय में प्रवेश करा कर के, उसके धन का कुछ हिस्सा राजनीतिक दलों को देकर के, औद्योगिक घराने अपना काम चला रहे है । सरकार ने अपना कर्तव्य कर, दिया उद्योगपति ने विश्वविद्यालय चला  लिया । और विद्यार्थी अपने जीवन के कुछ वर्ष पढ़ाई झोंक दिए, उसके अभिभावकों का पैसा उसमें लग गया । इस पूरे कार्यक्रम में लुटा केवल और केवल आम भारतीय अभिभावक और विद्यार्थी ।

और विद्यार्थियों को पकड़ने के लिए, अपने जाल में फंसाने के लिए उसी इंटरनेट के सहारे विद्यार्थियों को पकड़ा जाता है जो मानक  विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं पा सकते । यहां पर भी उसी डाटा का उपयोग करके हमारी नौजवान पीढ़ी का भविष्य खतरे में डाला जाता है ।

अगले अंक में हम चर्चा करेंगे डेटा का उपयोग उद्योगपति और तीसरी आँख किस-किस प्रकार कर सकते हैं और कर रहे हैं !

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