Old age status in India.

indian old age status

भारतीय बुज़ुर्गों का GLOBAL AGE WATCH INDEX मे स्थान 71 है जबकि अफगानिस्तान का अंतिम स्थान 96 है। ऐसा इनकी WEBSITE ने बताया है । परंतु आइये इसके सच की जांच करें , दरअसल यह एक भ्रामक तथ्य है जिसे फैलाया जा रहा है । इस भ्रम को फैलाने के पीछे की मंशा पहले आप समझ लें। पेंशन बीमा की कंपनियों के कहने पर यह सारी चाल चली जा रही है । उनके अनुसार भारत में मात्र 28% बुजुर्ग पेंशन प्राप्त करते हैं, जबकि अमेरिका मे यह संख्या 92% प्रतिशत है । आइये इसके पीछे की सच्चाई जान लेते हैं अमेरिका जैसे देश में पेंशन इत्यादि का खर्चा सरकार चलाती है क्योंकि वहाँ परिवार नहीं है। जहां परिवार नहीं है वहाँ माता पिता को देखने वाला कोई नहीं है। अमेरिका की सामाजिक सच्चाई यह है की 49% प्रतिशंत बच्चे एकल अभिभावक के साथ रहते है । अर्थात यहा उनके या तो माता रहती है या पिता। 34% लड़कियां अविवाहित रहते हुए बच्चों को जन्म देती हैं । अधिकांश बच्चे अपने पिता को नहीं जानते । वहाँ उनके विद्दयालय के साथ बच्चों के लालन पालन के लिए क्रेच बना दिये गए हैं, ध्यान दीजिये क्रेच का कोई हिन्दी अनुवाद नहीं है क्योंकि हमारी परम्परा मे इसकी आवश्यक्ता ही नही है। क्योंकि पारिवारिक व्यवस्था नहीं है इसीलिए 55% पहला विवाह तलाक मे बादल जाता है दूसरा विवाह मे यह आंकड़ा 67% है और तीसरे विवाह के बाद 74% लोगों का तलाक हो जाता है। इसके कारण आज सामाजिक सुरक्षा का खर्च सकाल घरेलू उत्पाद का 30% है SEWDEN मे यही आंकड़ा 65% प्रतिशत है । SWEDEN जैसे देश में तो 70% बच्चे अपने माता पिता को जानते नहीं हैं । इन देशों का दुर्भाग्य है वहाँ पर पारिवारिक व्यवस्था नहीं है । इसलिए सरकार को खर्च करना पड़ता है । भारत सरकार ने भी जहां जहां वृद्धाश्रम खोले हैं उसी नीति के तहत खोले हैं मेरी समझ से तो हमारे देश मे वानप्रस्थ आश्रम तो हो सकते हैं परन्तु वृद्धाश्रम की आवश्यक्ता नही है। अब GLOBAL AGE WATCH INDEX की संस्था वृद्धों की स्थिति का अनुमान मात्र पेंशन से लेता है । यदि देश मे वृद्धों को पेंशन मिलती है तो वृद्ध सुखी हैं। बिना इस बात को जाने हमारे देश में अधिकांश वृद्ध अपने परिवारों मे ही रहते हैं । यहाँ तो यदि किसी माता पिता का ध्यान उनके पुत्र पुत्रियों ने ठीक नहीं रखा वह वृद्द भी बाहर उसके बारे में कुछ नहीं कहता तो उस देश मे कोई विदेशी संस्था वृद्धों की स्थिति का अनुमान कैसे लगा सकता है ।

पेंशन उद्दयोग करने वाली कंपनियों का मात्र उद्देश्य है कि भारत के हर परिवार के वृद्द को इस स्कीम मे लगा दिया जाये । यह भी समझ लीजिये की उसमे भी आपका ही पैसा आपको कुछ वर्षों बाद दे दिया जा रहा है, फर्क इतना है कि आपका पैसा कुछ तथाकथित अर्थशास्त्री शेयर बाज़ार में लगा देते हैं परन्तु यदि पैसा नहीं बढ़ता तो आपकी किस्मत, ऐसा कहा जाएगा । परंतु जान लीजिये कि शेयर मार्केट में जबसे विदेशी पैसा FII के माध्यम से आने लगा है आपका शेयर मार्केट लगभग विदेशियों के हाथ में है। दूसरे सारी BSE sensex की कंपनियों का सकाल घरेलू उत्पाद मे योगदान मात्र 4% प्रतिशत है। और हमें सिर्फ BSE से भारत की तरक्की का अंदाज़ा लगाने को कहा जाता है

यह बड़ी हास्यास्पद स्थिति है। उसके कारण भी अब जान लीजिये । हमें हमेशा यह बताया गया हैं की हम अमेरिका से मदद के धन के बिना गुज़ारा नहीं होगा ।इसके आंकड़े देख लीजिये 1991 से 2001 तक भारत मे अमेरिका का 15 BILLION डालर भारत आया है और भारत का 65 BILLION डालर उसी अंतराल मे भारत से चला गया । 1991 से 2013 तक भारत मे जो पैसा सकाल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने मे लगा उसमे अमेरिका का योगदान है 1.2% जी हाँ । भारतीय पैसा लगा 98.8 % । कारण फिर वही है की भारत प्रति वर्ष लगभग 10 लाख करोड़ से अधिक की बचत करता है जो की देश में काम आती है । बचत का कारण फिर वही है यहाँ कीं सामाजिक परिवार व्यवस्था । हर वह देश जिसमे पारिवारिक व्यवस्था है बचत बचत करता है। पश्चिम देशों की बड़ी कोशिश है कि आप बचत करना छोड़ दें । क्योंकि वहाँ परिवार वहीं है वहाँ के लोग उधार मांग कर खर्च करते हैं । आज अमेरिका 12000 करोड़ रुपया प्रतिदिन का कर्ज़ उठाता है। पूरी दुनिया के सब देशों का कर्जा जोड़ लिया और अमेरिका का देख लीजिये अमेरिका का कर्ज़ सबसे जोड़ से अधिक है।

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