Why do India celebrate Hindi Divas ?

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14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया गया । परन्तु दुर्भाग्य से एक देश को अपनी भाषा का दिवस मनाना पड़ता है । क्या कभी ब्रिटेन और अमेरिका मे अँग्रेजी दिवस मनाया जाता है । यह तो ऐसे ही है की एक पाठशाला शिक्षा दिवस मनाए । इसका कारण स्पष्ट है कि हमारी शिक्षा पद्दती अंग्रेजों द्वारा लादी गयी है और हम उसे आज भी ढो रहे हैं । अँग्रेजी भाषा जानने में कुछ बुराई नहीं है एक भाषा की तरह । परन्तु जब वह हमारी जीवन शैली बनने लगती है तो समझने की बात है हमारा मौलिक चिंतन रुक जाता है, हम  मानसिक रूप से सब काम अपनी भाषा मे करते हैं। जब भी हम अँग्रेजी पढ़ते हैं उसका मानसिक अनुवाद अपनी मातृ भाषा मे मन मे करने के बाद ही उसे समझते हैं।

हमने यह समझ लिया है कि जो भी अँग्रेजी में हम से बात करे वह बुद्धिमान है और अगर वह कोट और टाई लगा कर इस देश पर कुछ भी बुरा कहे तो उसकी बुद्धिमता के कसीदे कढ़े जाते है। इस देश के सर्वोच्च पदों मे बैठे भी इसके अपवाद नहीं है । उनको दोष नहीं दिया जा सकते क्योंकि वह भी इसी शिक्षा पद्दती की दें हैं। जुलाई 2005 की तत्कालीन प्रधान मंत्री का इंग्लैंड मे दिया भाषण इसका प्रमाण है ।

हम अपनी पीढ़ी मे शायद समझ नहीं पाये और आने वाली पीढ़ियों को यह नहीं समझा पाये कि भाषा का प्रश्न नहीं है। परन्तु देश के गौरव का भी है  । हम अपनी मातृ भाषा मे सबसे बेहतर काम कर सकते हैं । हम जर्मनी, फ़्रांस, जापान, चीन जैसे देशों से सबक नही सीख सके यह सब देश अंग्रेजों के गुलाम थे परन्तु आज इसके देश में दूसरी भाषा के रूप मे स्थान नही ले पायी दूसरे अपनी भाषा मे पढ़ कर भी यह भारत से तकनीकी रूप से सक्षम हैं। कारण स्पष्ट है की अपनी भाषा का ज्ञान, उस मे शिक्षा और उस भाषा का स्वाभिमान । डा राम मनोहर लोहिया ने तो यहाँ तक कहा था कि भारतीयों को अपने अपने अँग्रेजी अज्ञान पर शर्मिंदा नही होना चाहिए यदि वह हिन्दी ठीक से जानते हैं ।

शिक्षा के क्षेत्र मे होने के कारण कुझे कभी कभी अँग्रेजी माध्यम के विद्दयालय मे 15 16 वर्ष के बच्चों को पढ़ाने का अवसर प्रदान होता है । दावे से कह सकता पूर्ण अँग्रेजी को समझने वाले 10% छात्र भी नही है  परन्तु दुर्भाग्य से वह इसे अपनी कमजोरी समझ कर सारा ध्यान अँग्रेजी मे लोखने पर लगाते हैं । बड़ा की सामान्य प्रश्न है “ इस बात को परीक्षा मे लिखेंगे कैसे ’

आइये आज से संकल्प करें कि हिन्दी हमारी एक दिन के लिए नहीं परन्तु हमारे जीवन का हिस्सा ज़रूर बनें । एक बात और कोई भी व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते से ज़रूर अँग्रेजी मे बात करता है हिन्दी मे नही ? शायद अपने पालतू कुत्ते अंग्रेज़ यहीं छोड गए हैं

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