NTA EXAM SCHEDULE and STRATEGY ! GOOD or BAD for STUDENTS ??

अभी हाल मे ही NTA यानि National Testing Agency ने अपने कार्यभाल को संभालते हुए 2019 मे होने वाले NEET और JEE की परीक्षा को करवाने के कार्यक्रम को बता दिया । हमारे मानव संसाधन मंत्रालय के मन्त्री श्री प्रकाश जावडेकर ने एक प्रैस वार्ता करते हुए 2019 मे होने वाली परीक्षाओं के विषय मे जानकारी दी । परंतु क्या यह प्रणाली शिक्षा को बेहतरी मे ले जाएगी ? इस प्रणाली के कुछ मुख्य बिन्दुओं पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ । आइये क्रम से इसे समझे ।

वर्ष 2019 से JEE और NEET की दो दो परीक्षाएँ लेने का निर्णय लिया गया । यह समझ कर कि इसके बाद प्रतिभावान छात्रों को अपने परिश्रम करने में और समितियों को छात्रों का चुनाव करने में पारदर्शिता आएगी । परंतु क्या ऐसा ही होगा ?

आपने परीक्षा की एक तारीख 06.01.19 से 20.01.19 टी दे दी है JEE के लिए और दूसरी NEET के लिए 03.02.19 से 17.02.19 तक । साल के इस समय जब बच्चों पर कक्षा 12 के बोर्ड की परीक्षा का मानसिक दबाव बना होता है तो विध्यार्थी इस परीक्षा को कैसे बेहतरी से देगा । दूसरे उस समय तो प्रयोगिक परीक्षाएँ भी चल रही होती हैं । छात्र उस पर ध्यान दे या इस तरफ भटके । यदि ठीक से समझा जाये तो जनवरी और फरवरी में होने वाली परीक्षा उस वर्ष के बोर्ड के परीक्षार्थी के लिए उपयुक्त नहीं है । अब क्योंकि उस परीक्षा को दोबारा फिर से अप्रैल मे और मई माह में दिया जा सकता और पुराने अंकों का कोई योगदान नहीं रहेगा कोई भी साधारण छात्र इस परीक्षा को दोनों बार दे देगा । और दूसरी तरह दोनों में से बेहतर अंक आप दे कर प्रवेश सूची में स्थान पा सकते हैं । देखने मे तो लगता है कि हर परीक्षार्थी को और अधिक मौका मिल रहा है तो उसकी बेहतरी इसी में होगी । अब जब दूसरी तारीख जो कि 07.04.19 से 21.04.21 तक JEE और 12.05.19 से 26.05.19 तक NEET कि होगी तो सभी विध्यार्थी फिर से इस मैं बैठेंगे । कुछ हमारे देश में अभिभावकों का भी रुझान इसी प्रकार का होता है कि कोई बात नहीं फिर से दे दो ।

परंतु आप एक बात को समझे कि कक्षा 12 का विध्यार्थी इस मानसिक दबाव को सहते हुए दोनों (बोर्ड और प्रतियोगिक) परीक्षाओं के साथ न्याय कर सके, इसकी प्रायिकता कम नज़र आती है । एक तरफ तो आज की शिक्षा के चलते हम बच्चों पर मानसिक दबाव कम करने की बात करते हैं । क्या इस  प्रणाली से यह कम होगा ? दूसरी तरफ यह जिन बच्चों ने एक वर्ष के अंतराल के बाद इस परीक्षा को देने का निर्णय लिया है जिसे आप dropper के नाम से जानते हैं वह इस जनवरी की और फरवरी की  परीक्षा को दे सकते हैं परंतु फिर भी उनके लिए यह एक प्रभ्यास या rehearsal की तरह होगा क्योंकि फिर से आप देखें तो वही विध्यार्थी इसे फिर मई महीने में देगा ।


2016 मे जब NEET की परीक्षा दूसरी बार जुलाई के माह में हुई तो अधिकांश बच्चों ने उसका प्रयोग किया और  बहुतों के अंक पहले से भी कम आए थे । इस पर शोष करके ही दो दो बार परीक्षा एक ही सत्र मे चलाने पर विचार करना चाहिए ।

क्या इस प्रणाली से कुछ लाभ नहीं होगा ? नहीं नहीं मैं ऐसा नहीं कह रहा हूँ । देखिये इसी के साथ सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को online कर दिया गया है सैद्धांतिक रूप से ऐसा करने से पेपर लीक या नकल करने में रोक लगेगी । और यह अवश्य लगेगी । आपको ध्यान होना जब AIEEE के पेपर लीक हुआ था शायद 2012 मे उसके बाद से ही AIEEE या आज के JEE को online करवाने का निर्णय लिया गया था ।

दूसरे सभी प्रश्न पत्र ऑनलाइन होने के कारण उनको जाँचने में कोई भी कठिनाई नहीं होगी और जल्दी से परीणाम आ जाएंगे । विध्यार्थी को दिये जाएँ या नहीं परंतु उसके अंक तभी computer से आ जाते हैं । इसलिए परीक्षा करवने के बाद परिणाम घोषित करने में आसानी हो जाएगी । तीसरा उसी संस्था को जो पेपर करवाएगी तो लगभग दोगुने विध्यार्थी मिल जाएंगे जिसके कारण उस संस्था की कमाई में लगभग दोगुनी वृद्धि हो जाएगी । अभी 12 लाख NEET और 12 लाख JEE के हैं तो लगभग 20 लाख दोनों परीक्षाओं मे मिल जाएंगे । दोनों बार लगभग उतने ही दिन रखे गए है आप तारीख देख सकते हैं। इसका अर्थ सरकार भी जानती है कि लगभग सभी बच्चे दोबारा से दबाव का शिकार बन कर परीक्षा देंगे ।

  

इससे भी बड़ा लाभ, या कहें कि सबसे बड़ा लाभ, सभी कोचिंग संस्थाओं को होगा क्योंकि अधिक परीक्षाएँ मतलब अधिक विध्यार्थी यानि उनके लिए अधिक उपभोक्ता और पैसा कमाने का नया रास्ता ।

परंतु  युवा भारत देश के युवाओं को क्या मिला ?? नया दबाव का तरीका । और उनके अभिभावकों की जेब से अधिक पैसा । इस पूरे परिवेश में देश को क्या मिलेगा ??



इससे बड़ा प्रश्न जिस पर हम नहीं सोच पाये हैं । आज JEE से निकलने के बाद भी JEE ADVANCE IIT खुद करवाएगा । यदि यह प्रणाली इतनी ही त्रुटिरहित है तो इसके परिणामों से ही IIT विध्यार्थी चयनित कर ले । एयर इसी प्रकार AIIMS भी अपनी परक्षा जारी रखेगा । इसका सीधा सा अर्थ है कि IIT और  AIIMS, जो कि पूर्णरूप से सरकारी संस्थाएं है, अभी भी इस प्रणाली को पूर्ण रूप से निर्दोष नहीं मानते हैं । और यह स्वाभाविक भी है ।

जब आपने 15 दिन 15 दिन करके दो बार इस परीक्षा को करवाना है और रोजाना लगभग तीन बार करवाना है तो लगभग 40 प्रश पत्र आपको चाहिए जिससे आप चुन कर देश के भावी अभियंता और चिकित्सक बनाना चाहते हैं । इस देश में जब दो बार JEE या NEET हुआ था तो लोग सर्वोच्च अदालत तक पहुँच गए थे कि दूसरा प्रश्नपत्र अधिक सरल था । अब ऐसे मे लगभग 80 प्रश्नपत्रों में यह प्रश्न नहीं उठेगा इस पर मुझे संदेह है । और प्रश्न उठे या नहीं यह तो सत्य आप एक ही स्तर के प्रश्न पत्र नहीं बना सकते और जिस देश में 1 1 अंक पर कॉलेज के प्रवेश का निर्णय लिया जाता वहाँ पर बहुतों के साथ अन्याय अवश्य होगा ।

अगले अंक में इसके विकल्प पर बात करूंगा । सहमत हों तो इस पर चर्चा करें और देश के लिए सकारात्मक योगदान दें । व्यक्तिगत रूप से मुझे इस पूरी प्रणाली में नकल की रोक, परिणामों कि सरलता के साथ साथ बच्चों पर दबाव और कोचिंग सेंटर की कमाई ही परिणामस्वरूप लगता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *