विश्व के किसी भी क्षेत्र के निवासी पर भारत में होने वाले यौन उत्पीढ़न या अन्य किसी भी प्रकार के अत्याचार का विरोध करते हुए मैं यह पूछना चाहता हूँ की क्या भारत देश अब बलात्कारियों, चोरों डाकुओं और हत्यारों का देश बन कर रह गया है । हमारे समस्त समाचार पत्र और विशेष रूप से इलेक्ट्रोनिक मीडिया के समाचारों से ऐसा ही प्रतीत होता है । कई नामी चैनलों मे तो उनकी महत्वपूर्ण सौ समाचारों में लगभग 70% अपराध से ही जुड़े हैं । दुर्भाग्य से यदि देश के किसी कोने मे कोई यौन अपराध का मामला सामने आ जाता है तो मेरे विचार से सभी संवाददाता समझते है की आज का काम तो हो गया । चलो इसी समाचार को तब तक खींचा जाये जब तक कोई और घृणित अपराध सामने न आ जाए । खैर यह तो मीडिया करेगी ही जब से उसके काम करने के ढंग में व्यवसायीकरण आ चुका है ।
राजनैतिक दल भी अपने स्वार्थ के लिए देश को गुमराह करेंगे ही । जो दल सत्ता में है उस पर विरोधी दल हर अपराध इत्यादि का ठीकरा फोड़ देंगे जैसे की किसी भी अपराध को करने वाला अपराधी, पहले प्रदेश के मुख्य मंत्री या देश के प्रधान मंत्री से पहले आज्ञा ले चुका होता और उक्त मंत्री नें इसकी आज्ञा दी है । इसी समय कानून के विशेषज्ञ आ कर अपनी राय देंगे, किसी किसी स्थान पर आप पुलिस को दोष देंगे और कुछ लोग तो विभिन्न प्रकार के दंड प्रावधानों की बात करेंगे । बहुत से समाज सेवी संस्थाएं भी अपनी राय देंगी । सबका के दिये सकारात्मक सुझावों का समर्थन करना चाहिए ।
आइये पहले इसको अंतर्राष्ट्रीय परिवेश में समझें । आपकी जानकारी के लिए अमेरिका जैसे तथाकथित विकसित देश में प्रति लाख जनसंख्या में बलात्कार के 28 केस है और भारत में यह आंकड़ा है 1.8 । स्वीडन जैसे देश में जो human development index में शीर्ष पर है यह आंकड़ा 64 के पार है । यही आंकड़ा जर्मनी में 10 और फ़्रांस में 16 है । इन तथाकथित देशों में इस प्रकार के मामले भारत से 10 से 15 गुणा ज़्यादा है । ध्यान रहे प्रतिशत नहीं गुणा । मेरे कहने का यह अर्थ कदापि नहीं है की इन देशों की स्थिति हमसे खराब है तो हम आराम से बैठे रहें । यह सभी आंकड़ों के लिए लिंक दिये गए हैं । यह सभी आंकड़े विकिपीडिया, nationmaster.com इत्यादि पर उपलब्ध हैं ।
http://www.nationmaster.com/country-info/stats/Crime/Violent-crime/Rapes-per-million-people#2010
https://en.wikipedia.org/wiki/Rape_in_the_United_States
https://en.wikipedia.org/wiki/Rape_statistics
https://knoema.com/atlas/ranks/Rape-rate
अब इन मामले को समझे थोड़ा संभाल कर सोचें । जहां जहां पर बच्चियों पर इस प्रकार का अत्याचार होता ही तो स्पष्ट रूप से समझ बनाइये कि यह अमानवीय काम ही हो सकता है । दूसरे इस प्रकार के जघन्य अपराध करने वाले है वह मात्र मानसिक रोगी ही हो सकते हैं । चलिये अब एक और सत्य को स्वीकार करते हैं कि भारत एक मात्र ऐसा देश है जिसकी संस्कृति में कोई नारी देवत्व को प्राप्त होती है अर्थात यहाँ पर देवी की पूजा है । चाहे आप सरस्वती देवी ले, दुर्गा देवी को लें या लक्ष्मी देवी । पूरे विश्व में भगवान कहलाने का अधिकार भारत के अतिरिक्त हर देश में पुरुष को ही है । इतना सब होने के बाद जब आप पूरे विश्व से अपने आप को देखने की कोशिश करेंगे तो आपको मैंने बताया कि हमारे देश में बलात्कार और यौन उत्पीड़ान के मामले बहुत कम हैं । मैं यह इस प्रकार के एक भी मामले की भर्त्सना करता हूँ । पर आप ज़रा समझें कि जब कोई ऐसा मामला दर्ज़ होता है तो उस दिन के आसपास आप देखेंगे कि सभी समाचार चैनल इसको दिन में तीस तीस बार दिखाएंगे । इसका कारण समझिए । मीडिया का काम आज मात्र व्यवसायीकरण है अर्थात अपनी TRP बढ़ानी है ।
आम भारतीय यह क्यों देखता है यह भी समझ लीजिये । हम वही देखते है जो सच नहीं है और हमें काल्पनिक लगता है । यदि आप समाचार दिखाएंगे कि आज भोजन के प्रदूषण से बचने के लिए प्रसंकृत भोजन के विकल्प में ताज़ी सब्जी और फलों का प्रयोग करें । तो आप यह नहीं देखना चाहेंगे क्योंकि आप यह जानते हैं । यदि आप रोज़ ताज़ा सब्जी खाने का समाचार देखेंगे तो एक दिन आप सोचेंगे कि मुझे भी ताज़ी सब्जी खानी चाहिए तो processed या प्रसंसकृत भोजन बनाने वालों के व्यवसाय का क्या होगा । यदि आप सुबह शाम समाचार में मात्र बलात्कार देखेने तो आपको यह सहज लगने लगेगा । यही उनकी मंशा है । स्थिति यहाँ तक हो गयी है कि आज कोई पिता अपनी जवान बेटी बेटे के साथ बैठ कर समाचार नहीं देख सकता ।
जब आप विभिन्न देशों के आंकड़े देखेंगे तो आपको पता चलता है कि अमेरिका और ब्रिटेन में भारत से कई गुणा बलात्कार होने के बाद भी उनके समाचार चैनल में इस पर चर्चा नहीं है । क्योंकि वहाँ यह समान्य है । स्वीडन नमक देश जो human development index में दूसरा स्थान रखता है । विश्व में बलात्कारों के शीर्ष पर है । किसी देश में बलात्कार पर देश में रैलि नहीं निकलती । क्यों कभी सोचा आपने । मुझे दुख तो तब हुआ जब मैंने कुल्लू के कुछ विध्यार्थियों को इस प्रकार की रैलि में देखा जिनहे उनके विध्यालय ने भेजा था । हम अपने युवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं । हमारे युवा मात्र यह समझें कि हमारा देश बहुत निकृष्ट है । हमारे देश की संस्कृति को खोखला करने की प्रक्रिया के कारण यह समाचार बार बार दिया जाता है । यदि कहीं पर कानूनी कार्यवाही नहीं होती तो सुरक्षा बलों पर तुरंत दंडित किया जाये ।
हम युवाओं को व्यर्थ क्या पढ़ा रहे हैं । कोई मीडिया इस पर चर्चा करेगा क्या और सकारात्मक काम करेगा ? हमारे युवाओं को रोजगार कहाँ से मिलेगा इस पर कौन चर्चा करेगा और सकारात्मक सुझाव देगा ? हमारे देश में कहाँ कहाँ क्या क्या अच्छा हो रहा है कोई बताएगा क्या । भारत में प्रफुल्ल चंद्र राय, सलीम अली, श्रीनिवास रामानुजम, होमी जहंगीर भाभा, जगदीश चंद्र बोस, सत्येन्द्र नाथ बोस, हर गोविंद खुराना, अभयंकर, मेघनाथ सहा, बीरबल साहनी और राज रेड्डी जैसे शोधकर्ता कब हमारे विध्यार्थी को पढ़ाया जाएगा । जब ISRO नें 104 उपग्रह का एक साथ प्रक्षेपण का कीर्तिमान बनाया तो उस वैज्ञानिकों के दल में 8 महिलाएं थी । क्या इस समय की कोई चर्चा आपने सुना । भारत ने इस बार कॉमन वैल्थ गेम्स में 26 स्वर्ण, 20 चाँदी और 20 कांस्य पदक जीते हैं । इस बार के खेलों में भारत का स्थान तृतीय रहा इस पर किस चैनल ने कितनी चर्चा की है । आइये सकारात्मक सोच रखें और अपने युवाओं को संस्कार दीजिये । यदि कुछ देश में गलत हो रहा है तो उन्हे उसे ठीक करने के लिए प्रेरणा दीजिये। मेरी व्यक्तिगत मान्यता है की भारत का युवा अपने देश को सुधारने के लिए किसी भी विदेशी सहाता का मोहताज नहीं है । उसमें पर्याप्त ऊर्जा और परिपक्वता है ज़रूरत है तो बस उसकी ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए ।
अब एक और आंकड़े पर आपका ध्यान दिलवाना चाहूँगा । NCRB के अनुसार लगभग 23% प्रतिशत बलात्कार विवाह के झांसे में पड़ कर हो रहे हैं । 11% बलात्कार नौकरी के झांसे के चक्कर में हो रहे हैं । अब और तो नहीं कम से कम इन मामलों में तो कुछ हद तक स्त्री भी दोषी कही जा सकती है । इसका भी यदि मूल आप समझे तो नौकरियाँ हैं नहीं, विवाह और प्रेम का मूल युवाओं की नज़र में बदल रहा है । परन्तु आधुनिकता और विकास के नाम पर महत्वाकांक्षाएं बहुत अधिक हो गयी हैं । कभी कभी युवा अपने संस्कार को भूल जाते हैं उन्हे भारतीयता के मूल को समझने की आवश्यकता है । साथ ही यह भी आंकड़ा है कि 90% से अधिक लोग पीड़ितों के बलात्कारी जानकार होते हैं । एक समय था ही नहीं परंतु अधिकांश भारत मे जब एक पुत्री का विवाह होता है तो वह समस्त गाँव की बेटी का विवाह समझा जाता है और पूरा गाँव, या शहर का मौहल्ला उसे अपने घर की शादी समझ कर सब काम करता है। वहीं आज निकट सम्बन्धों में इतना वीभत्स कांड । इस पर विचार की आवश्यकता है कि क्यों निकट सम्बन्धों में दरार पड़ती जा रही है । कुछ स्थानों पर यह भी देखा गया है कि बलात्कार के नाम पर युवतियाँ अपने व्यक्तिगत शत्रुता निकाल कर निर्दोषों को कानून के शिकंजे में पकड़वा रही हैं । इस समाज के कुछ प्रतिशत ही सही विकृत मानसिकता को जड़ से सुधारने के लिए आइये कुछ प्रयास करें ।