CBSE PAPER Leak! Reasons Behind and Remedy of SUCH ACTIONS !

अभी समाचार आया है कि CBSE कि कक्षा 12 के अर्थशास्त्र और कक्षा 10 के गणित के पेपर कहीं बाहर लीक हुए है और इसके लिए समस्त भारत के प्रभावित छात्रों को एक बार फिर इस प्रश्न पत्र को देना होगा । कुछ लोग CBSE पर दोषारोपण करेंगे बाकी कुछ लोग इसे सरकार की विफलता का नाम देंगे । समस्त राजनैतिक दल तो इस पर फिर भी अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेकते नज़र आपको आ ही जाएंगे ।

अब ज़रा आइये मूल कारण पर भी विचार करें । जो लोग पेपर बाहर से निकलवाते हैं उनके मन मे इस काम को करवाने से पहले इसके लाभ ज़रूर रहेंगे । यदि इसको कोई कोचिंग सेंटर निकलवाएंगे तो उनका मूल अच्छे से अच्छा परिणाम दिखा कर अपना बाज़ार बनवाना है । यदि इसे कुछ अभिभावक यह काम करवाते हैं तो उनको लगता है कि मेरे बच्चे को अच्छे अंक प्राप्त हो जाएँ तो शायद इसके बाद उसको बढ़िया कॉलेज या स्कूल मिल जाएगा और फलस्वरूप उनका भविष्य उज्जवल हो जाएगा । बस यही मूल कारण है, अभिभावक या बच्चों को यह समझना है कि इस प्रकार से पाएँ अंक आपको शायद किसी आपके लिए बेहतर कॉलेज मे प्रवेश मिल भी जाएगा परन्तु उसके बाद जब जीवन का संघर्ष शुरू होगा तो मात्र असली ज्ञान ही काम आएगा । आईए पूरे कार्यक्रम मे जो भी हुआ उसमें तीन स्तर के लोग मिले हुए हैं । सबसे पहले CBSE के अधिकारी जिनकी पहुँच उन प्रश्न पत्रों तक हैं । दूसरे वह अधिकारीगण जो उन प्रश्न पत्रों को बैंक तक ले कर जाते हैं । उसके उपरांत बैंक के अधिकारी जो उन प्रश्न पत्रों को को स्कूल के अधिकारियों को देते हैं । जिसके बाद स्कूल के अध्यापक उसे बच्चों मे देते हैं । जो कुछ भी सुनने समझने मे आया है उसके अनुसार बैंक और वहाँ से परीक्षा केंद्र का कोई भी उसमें हाथ नहीं है क्योंकि उन सबका काम परीक्षा के दिन ही होता है। अब आपके सामने रह गया बैंक तक आने से पहले की प्रक्रिया मे चूक हुई है ।



 

इस पूरे प्रकरण मे हमे और सारे राष्ट्र को उस बच्चे को अवश्य सम्मानित करना चाहिए, जो कि स्वयं कक्षा 10 का छात्र था और जिसने सबसे पहले CBSE के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, जबकि उसे भी पेपर मिल चुका था । भारत मे आज भी ईमानदारी कण कण मे व्याप्त है परन्तु यदि इस प्रकार के कार्यों को समाज नें और सरकार नें प्रोत्साहित नहीं किया तो लोग इस प्रकार के काम करने से बचेंगे ।

जिन लोगों नें भी इस काम को किया है उन पर कड़ी कार्यवाही तो होनी चाहिए परन्तु उन पर हुई कार्यवाही के दीर्घ परिणाम हों । जिन कोचिंग सेंटर ने यह काम किया उनके पूरे जीवन के लिए अध्यापन या शिक्षण से संबन्धित काम पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए । यदि शिक्षण संस्थान ही नैतिक रूप से कमजोर होने तो आप उन्नत देश की परिकल्पना से अपने को दूर रखें ।

पर जिन अभिभावकों नें इस प्रक्रिया से अपना काभ उठाया है उनसे यह प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि ईस प्रकार के अंकों से क्या होगा ? आप DU मे शायद आपको प्रवेश मिल जाएगा परन्तु उस विश्व विद्दयालय मे अंक लाने के लिए फिर परीक्षार्थी को मेहनत करनी पड़ेगी । उसके उपरांत कसी समय में सरकारी नौकरी मिल जाती थी पर आज तो सरकार अधिकांश काम outsource ही करती है तो फिर आपका स्वयं का कौशल और ज्ञान ही काम आएगा।

 

इसके अतिरिक्त हम भारत की नई पीढ़ी को क्यों नहीं ईमानदार बनने के लिए प्रोत्साहित न करें । आज कक्षा 10 के छात्र ने अपनी ईमानदारी का परिचय दिया है । यदि मेरी मानें तो उसे राष्ट्रपति सम्मानित करें । इस हद तक का चरित्र का प्रदर्शन उस छात्र ने किया है ।



अब इस पर एक प्रश्न और उठता है जो मेरी प्रिय अर्थक्रांति से संबन्धित है । यदि अर्थक्रांति के प्रावधान के अनुसार 50 रुपये से अधिक के नोट ही न होते तो क्या यह प्रश्न पत्रों की खरीद फरोख्त बिना बैंक के पैसे का प्रयोग किए हो सकता । उत्तर है नहीं । यदि बैंक के पैसा का प्रयोग ही होता तो लोगों को पकड़ने में पुलिस को अधिक समय ही न लगता। यह है अर्थक्रांति का प्रभाव ऐसे असामाजिक तत्वों पर ।

बात उनकी जो प्रदर्शन का रहे हैं । उन सब से अपील है कि माना यह एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है पर आपके प्रदर्शन और CBSE पर दोषारोपण से कुछ होगा क्या । आपको उयाह मांग करनी चाहिए कि जो लोग इसमें लिप्त हैं उनके परिवार की अगली पीढ़ी तक यह बात याद रखें ऐसी सख्त सख्त सज़ा हो । अब आपको यह परीक्षा तो देनी ही पड़ेगी । क्योंकि इसके अतिरिक्त कोई हल नहीं है और यदि आप लोग किसी राजनैतिक दल के कहने पर यह कर रहे हैं तो समझ लीजिये सब विपक्ष वाले आपसे अपना लाभ ही उठाएंगे उनकी बातों में न आयें ।

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