IS YOUR CHILD in CLASS X and Ready To Choose Subject ! Just Read Once !!

 

क्या आपका बच्चा कक्षा 10 में है तो यह आपके लिए बहुत आवश्यक है कि यह जानें कि आने वाले अगले वर्ष में आपको उसके लिए क्या विषय चुनने हैं । अब भारतीय व्यवस्था के अंतर्गत अब उसके लिए विषय चुनने का समय आ गया है । परन्तु विषय चुनने कि उसमें शायद अभी उतनी परिपक्वता नहीं है और हम उसके लिए निर्णय लेना चाहते हैं । परन्तु साथ मे ही हम यदि उसकी रुझान के विषय पर सहमति नहीं देते तो क्या वह अपना भविष्य सुधार पाएगा । अभिभावकों से अनुरोध है की अपनी इच्छाओं को उन पर न लादे परंतु प्रयास करके उनकी इच्छाओं औए अपने अनुभाव को जोड़ कर, एक नई पहल करें ।

आइये इस पर कुछ विचार करें । सबसे पहले तो यह समझें कि उसके पास अभी मुख्यत: विज्ञान, वाणिज्य और कला संकाय में चुनाव करना है । हमारे पास दुर्भाग्य से यह माना जाता है कि सबसे अधिक मेधावी छात्र को विज्ञान संकाय में, उससे कुछ नीचे को वाणिज्य संकाय और उसके नीचे कला संकाय में जाना है । यह कथन कभी भी पूर्णरूप से सत्य नहीं रहा। यह भी देखा गया है कि समय के साथ साथ लोगों के कार्यक्षेत्र मे विशस्कर भारत में कई बदलाव आ जाते हैं । आज भी यदि आप देखें तो विश्व में जिन लोगों नें अपने कार्यक्षेत्र में अपना नाम बनाया उन सबने उसी विषय में पढ़ाई की है, यह सत्य नहीं है ।

अब आज के परिवेश में बात करते हैं । यदि आपकी संतान की पूर्ण इच्छा मात्र कला संकाय के विषयों में है यानि इतिहास, समाज शास्त्र, भूगोल इत्यादि में है तो उस बच्चे के लिए वही ठीक है परन्तु उसकी अभिरुचि उसी में होनी चाहिए, और भविष्य में उसे पूर्णतया ज्ञान होना चाहिए कि वह क्या क्या कर सकता है। उस विद्दयार्थी को उस विषय में पहुँचने वाली मंज़िल का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए ।

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यदि आपकी संतान वाणिज्य में जाना चाहती है तो भी उसके पास अर्थशास्त्र, CA, Cost Account, Stock Exchange, Banking, Insurance इत्यादि इससे संबन्धित बहुत से काम हैं जिनमें वह अपनी दक्षता का प्रमाण दे सकता है । यहाँ भी विद्दयार्थी को अपने लक्ष्य का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए । अभिभावक होने के नाते आपका मुख्य काम है उसमें स्वयं देखें कि उसकी अभिरुचि किसमे है और उसी विषय के भविष्य के विकल्पों के विषय में उससे चर्चा करें ।

यदि विद्दयार्थी को कुछ तय करने में असमंजस है तो विज्ञान लेना ही बेहतर है क्योंकि विज्ञान से आप स्नातक स्तर पर कला और वाणिज्य में जा सकते हैं । परन्तु इसके विपरीत यदि आप वाणिज्य और कला संकाय मे जाते है तो आप दोबारा से विज्ञान में नहीं आ सकते है ।

इसके बाद अब बात करते हैं विज्ञान संकाय की । दरअसल मेरा विषय भी विज्ञान संकाय से ही है । विज्ञान लेते ही विद्दयार्थी के मन में मात्र Engineering या Medical ही रहता है । तो यह उसे समझना है कि इन दोनों क्षेत्र के विषय में जान लें । यदि Engineering की बात है तो उसके पास गणित रहता है और यदि  Medical होता है तो वह जीव विज्ञान का विषय साथ में लेता है ।

यहाँ एक बात स्पष्ट रूप से बच्चे समझें कि आज से लगभग 20 वर्ष पहले, जब आपके माता पिता और अभिभावकों नें पढ़ाई की है, उस समय यदि आप औसत से कुछ अधिक क्षमता भी रखते हैं तो काम चल जाता था । परंतु आज जब देश 135 करोड़ का युवा देश बन चुका है तो आपको अपने अपने क्षेत्र में अग्रगण्य या श्रेष्ठ होना ही पड़ेगा नहीं तो देश की भीड़ का एक युवा बन कर रह जाएंगे । जो शायद आपका भी सपना नहीं होगा । यदि आप महत्वाकांक्षी नहीं हैं तो सब ठीक है । मेरे विचार से मुझे आपके महत्वाकांक्षी होने पर गर्व है परंतु उसके अनुरूप जब आप मेहनत नहीं करते और फिर परिणाम न होने से आप निराश होते हैं, वह चिंता का विषय है । मेरी मानयता है कि आप उपयुक्त परिश्रम करें और सफलता न आए ऐसा संभव नहीं है । चिंता का विषय तब है जब आपको लगता है कि परिश्रम उपयुक्त है और वह आवश्यक से कम होता है, और इस कारण से परिणाम अपेक्षित नहीं होते । 28 वर्ष के अध्यापन काल में मुझे जब जब ऐसे विद्दयार्थी से सामना होता है मुझे उसके लिए पीड़ा होती है । जब भी किसी युवा के सपने टूटते हैं तो मुझे बहुत तकलीफ होती है । अब इसके, विशेषतय विज्ञान वर्ग के विद्दयार्थीके लिए समाधान की चर्चा अगले सत्र में ।

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