60 दिन अथवा दो महीने में विद्यार्थी और अभिभावक क्या करें कि विद्यार्थी अपने कौशल के अनुसार अंक प्राप्त कर सके

प्रिय विद्यार्थियों , अध्यापकों और अभिभावकों

आज मैं आपसे परीक्षा में होने वाले तनाव को सकारात्मक प्रयोग करना है इसके कुछ सुझावों को आपसे दूंगा । इसमें मैं यह बताना चाहता हूं, आप कैसे करें कि जिससे कि आपके मन में तनाव कम रहे आप ऊर्जावान रहे और आपकी कार्यशैली और कार्यक्षमता बढ़ जाए ।

आइए पहले की तरह कुछ बिंदुओं से इस चर्चा को प्रारंभ करते हैं, सबसे पहले आपका काम है, जैसे आपको पहले बताया गया था,  आपके पास 1 दिन में मात्र 24 घंटे । दुनिया में किसी भी व्यक्ति के पास 24 घंटे से अधिक का समय इस धरती ने नहीं दिया । अत : हर कोई 24 घंटे को ही प्रयोग अपने अपने तरीके से प्रयोग में लाता है, आपको ऐसा काम करना है जिससे इस 24 घंटे में से ही आप अधिक से अधिक ऊर्जा का प्रयोग कर सकें, और कार्यक्षमता बढ़ाएं  ।

इस काम को करने के लिए, मेरे विचार से आप सबसे पहले अपने पढ़ने का समय सीमित कीजिए, और सीमित के साथ-साथ निर्धारित कीजिए । समय का निर्धारण बहुत आवश्यक है । कुछ अभिभावक या विद्यार्थी उसे यह पूछते हैं कि श्रीमान क्या हमें सुबह पढ़ना चाहिए या रात को पढ़ना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर आपके पास है, जैसी आपकी सुविधा हो आप वैसे ही करें, यदि आपको लगता है रात्रि काल में पढ़कर आप अधिक बेहतर काम कर सकते हैं तो रात को पढ़िए और यदि आपको लगता है प्रात कालीन समय में पढ़ना आपके लिए श्रेष्ठ  तो आप सुबह पढ़िए. यह निर्णय पूर्णता आपका है ।

लेकिन इसमें आपको एक बात हमें हमेशा दिमाग में रखनी है, और वह यह है कि जो आपकी परीक्षा का समय है जो बोर्ड के लिए 10:30 से 1:30 बजे तक होता है, और सायंकालीन  प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 2:30 से 5:00 तक होता है । उस समय आप पूर्ण रूप से जागृत अवस्था में रहें,  साथ में सचेत भी रहे । आप यह सोच सकते हैं की परीक्षा में तो हम सचेत ही रहते हैं, लेकिन यहां पर मैं आपको समझाना चाहूंगा एक हमारी शरीर की घड़ी है, जो एक दो दिन में नहीं बदलती । आप कल्पना करें आपके रात को जो भी सोने का समय है, उस समय से आप आधा घंटा अथवा एक घंटा देर तक किसी कारण से जागते रहें तो आपको आसानी से निद्रा नहीं आती । इससे हम लोग अंग्रेजी में biological clock भी कहते हैं । यह आसानी से नहीं बदलती ।

इसीलिए आपको आज से ही यह तय करना है कि सुबह बजे से 10:30 बजे से 1:30 तक और दोपहर 2:3 0 से 5:00 तक आप सचेत रहें यदि आप को प्रतियोगी परीक्षाओं को देना चाहती हैं । आप अपने आराम का समय इनके अतिरिक्त ही रखें । आप देखेंगे कि जिस दिन आपने परीक्षा देनी है उस दिन आप अत्याधिक उर्जा से कार्य कर पाएंगे और आप बेहतर नतीजे ला पाएंगे । इस प्रकार से यदि आप अपनी शारीरिक घड़ी को अपने परीक्षा की घड़ी से मिला देंगे तो आपको बहुत लाभ होगा ।

अब आइए किसके साथ और बात पर चलते, कुछ विद्यार्थी मानते हैं कि अब परीक्षाएं 2 महीने के बाद हैं अब हमारी नींद कम हो जाएगी । यह कोई स्वास्थ्यवर्धक बात नहीं है, आप निद्रा अवश्य लें । इस के साथ ही आपको मैं यह बता देना चाहता हूं न्यूनतम और भूख आपके शरीर के लिए आवश्यक है इससे अधिक आप कितनी भी बढ़ा सकते हैं । आपकी उम्र में लगभग हाथ से 6 घंटे की निद्रा आपके लिए पर्याप्त है इससे अधिक आप जितनी आदत अपनी बना लेंगे । निद्रा तो  आपको आ जाएगी परंतु शरीर आवश्यकता मात्र 6 घंटे की निद्रा से अधिक नहीं है ।

 

इसलिए यह कभी नहीं कहूंगा परसों परीक्षा है तो आप रात दो रात आप मत सोइए, आप अभी से अपनी निद्रा पर काबू पा लीजिए, दूसरी बात समझिए आप अपने मनोरंजन का कोई साधन अपने साथ अवश्य रखिए इसे समाप्त मत होने दीजिए । इसे हम लोग अंग्रेजी में recreation  कहते हैं । recreation शब्द को यदि अंग्रेजी में भी विच्छेद की जाए यह बनता है re+creation अर्थात दुबारा उत्पादकता पूर्वक का करने के लायक बन जाएं आप दोबारा creative  हो जाएं । इसलिए recreation  आवश्यक है परंतु दुर्भाग्य है कि कई बार हम recreation  में इतना अधिक समय लगा देते हैं कि वह  की जगह पर हमारे लिए अत्यंत पानवाला और समय की बर्बादी वाला बन जाता है ।

इसलिए मेरा कहना है कोई ना कोई recreation अपने में जरूर रखिए, लेकिन सीमित समय के साथ ताकि आपका समय बर्बाद ना हो recreation के बाद आप बेहतर ऊर्जा से कार्य कर सकें ।

अगली बार क्यों मैं आपको बताना चाहता हूं, कोई ना कोई शारीरिक कार्य अवश्य करें, योगासन कीजिए चाहे दौड़ लगाइए jogging कीजिए क्योंकि इससे शरीर में स्फूर्ति  रहेगी । ध्यान रखिएगा के साथ बाजार में मित्रों के साथ टहलना, खूबसूरत चेहरे देखना इत्यादि  शारीरिक आयाम में नहीं माना जाता । और आपको कुछ ना कुछ शारीरिक व्यायाम करना है जिससे आपकी बुद्धि बेहतर स्तर पर कार्य कर सकें । तो इसका अर्थ यह हुआ क्या आप recreation के साथ-साथ शारीरिक व्यायाम के लिए भी रख लें ।

 

आप आइए एक अंतिम बात पर चर्चा करूंगा, आप अपने भोजन का समय अवश्य नियत कीजिए आप किस समय भोजन करते हैं आपकी शरीर को ऊर्जा कब देता है यह बहुत महत्वपूर्ण है । ध्यान रखिए यदि आप अत्याधिक भोजन करते हैं तो भोजन के तुरंत बाद आपको आलस्य आता है, कारण यही है आपने अपने शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन किया और उस भोजन को पचाने के लिए अब शरीर से ऊर्जा प्रयोग हो रही है इस के कारण आपको आलस्य का अनुभव होता है । इसलिए भोजन करें और नियमित समय पर करें । इन दोनों में से आप कुछ भी अल्प या अधिक  करेंगे तो आपकी ऊर्जा एवं क्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ेगा ।

 

चलते चलते यह भी समझ ले यदि आप किसी पाठ को,  किसी अध्याय को किसी विषय को पढ़ने में समय मनोरंजन का अनुभव नहीं करते, या आपको लगता है अब कुछ दिमाग में नहीं जा रहा, पढ़ने में आनंद नहीं आ रहा तो तुरंत उस अध्याय अथवा पाठ को बंद कर दें । दो बार गहरी सांस लें और विषय बदल लें और या अध्याय बदल लें ।  ऐसा करने से आपकी ऊर्जा बढ़ेगी,  आपको कम समय में अधिक चीजें समझ आने लगी । यह तो मैंने आपको बताया की भौतिक स्तर पर आपको क्या क्या ध्यान रखना है अगले दो वीडियो में आपको मानसिक स्तर पर क्या-क्या रखना है किस प्रकार सोचना है उसको भी बताऊंगा

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