TEAM PARI TO HEAR U की सकारात्मक पहल में आपके सहयोग से समाज में तनावग्रस्त व्यक्तियों में बदलाव की संभावना

प्रिय मित्रों

आज के समय में हमें अपने आसपास का सारा माहौल तनावग्रस्त लगता है, यह सच भी है आज इस शब्द यानी तनाव का महत्व लोगों के दिमाग में पहले से अधिक है । तो क्या यह तनाव पिछले चंद वर्षों की देन है या पहले भी हमारे बीच में था? और आज इस तनावग्रस्त जीवन में लोगों पर क्या प्रभाव किया है, इसको भी समझने की बहुत आवश्यकता है ।

आइए इस विषय में जरा विस्तार से समझाएं, जीवन कभी भी तनावमुक्त नहीं था, जीवन में तनाव आज से 50 वर्ष पहले भी थे और आज भी हैं और भविष्य में भी रहेंगे । अगर हम यह समझे कि तनाव किसी विशेष स्थान पर जाने से या विशेष उपलब्धि के बाद समाप्त हो जाएंगे तो यह हमारा पूर्ण भ्रम है । हमे तनाव से आगे बढ़ने की प्रक्रिया पर ध्यान देना है ।

बदलते वक्त के साथ कितना अंतर अवश्य आ गया है, कि पहले यह तनाव अधिकांश व्यक्तियों पर सकारात्मक रूप से कार्य करता था, अब दुर्भाग्य से कुछ लोगों पर अब यह नकारात्मक रूप से काम करता है । यह वह लोग हैं जो तनाव को सहन करने की किसी कारण से इतनी क्षमता नहीं रखते । यही उसका है कि यदि तनाव पहले भी था और आज भी है अंतर क्यों और आप इसका इतना बड़ा महत्व क्यों माना जा रहा है? जिन्हे आज अत्यधिक तनाव है, पहले वह उन तनाव से आगे निकाल जाते थे ।

एक मूलभूत अंतर को पहचाने पहले हमारा जीवन तनाव पर भारी होता था, दुर्भाग्य से कुछ लोगों के लिए यह जीवन पर भारी हो गया है । दरअसल हमारी सफलता के लक्ष्य भटक गए हैं, इस दुनिया में मोह माया ने हमें कहीं ना कहीं अपने उद्देश्य से भटका दिया है । जीवन का हमेशा यह उद्देश्य था और रहना चाहिए कि आप खुश है स्वस्थ हैं और इसमे ही सुख ढूंढिए  । परंतु भौतिक आवश्यकताओं के कारण और विलासिता के कारण हम इस बात को उतनी नहीं समझ पाते । जब तक हम इस दौड़ में भागते रहते हैं और उपलब्धि मिलती रहती है अथवा उपलब्धि की संभावना रहती है तब तक भागते रहते हैं । परंतु जैसे ही कर देखते हैं पीछे का जीवन अथवा भविष्य की चिंता हमें तनाव में ले आती है ।

आइए पहले और अब के अंतर को भी समझें, पहले कहीं हमारे पास संयुक्त परिवार थे मित्र थे जिसके कारण हम लोग एक दूसरे को अपनी सब बातें कह सकते थे समझ सकते थे । आज व्यक्ति एकल जीवन से ग्रस्त है, शायद आप इसे उदाहरण से समझे, पहले घर में एक लैंडलाइन टेलीफोन होता था पूरा परिवार उससे बात करता था और उस टेलीफोन पर एक समाचार यदि आता था तो पूरे परिवार को मिल जाता था । परंतु अब सबके व्यक्तिगत मोबाइल होने के कारण आपकी बात उस व्यक्ति तक ही रह जाती है ।

तो परिवार में वह सामंजस्य विचारों का आदान-प्रदान अब लगभग समाप्त सा हो चुका है । इस कारण हर व्यक्ति अपने आप को अकेला महसूस करता वह चाहता है कि कोई उस से बात करें कोई उसकी बात को समझे, आज बुजुर्गों के विषय में तो यह आम कहां जाता है उनको अपने आज के बच्चों से ना धन चाहिए, न उनका पद चाहिए मात्र ईतना चाहिए के व उनकी संतान के पास आकर कुछ समय गुजारे । दुर्भाग्य हो गया उस  संतान के पास समय कम हो गया क्योंकि आज के आपाधापी के जीवन में उसे आगे बढ़ने के लिए जो पुरुषार्थ करना है उसके लिए पहले से उसके पास की कमी है

इन सारी बातों को समझते हुए TEAM PARI TO HEAR U नामक संस्था ने आप सबके लिए ही एक मंच बनाया है।  आप लोग इस मंच पर जब चाहे जिस समय चाहे मंच के स्वयंसेवकों को संपर्क कर सकते हैं इसकी पूरी सूची आपको बहुत से स्थानों पर मिल जाएगी । मेरे बहुत से लेखों में मिल जाएगी यहां भी मैं प्रस्तुत कर रहा हूं । ध्यान रहे यह सभी स्वयंसेवक हैं सभी अनुभव शाली है और सभी ने अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय उस व्यक्ति के लिए निकाल रखा है जिसे कोई दबाव है और वह कुछ बात करना चाहता है ।

ध्यान रहे जिस से भी आप संपर्क करेंगे आपको कुछ चिकित्सकीय जानकारी नहीं देगा उसकी चिकित्सकीय सहायता नहीं  है  परंतु वह सिर्फ की बात को अपने तक रखने के लिए बना हुआ है आप उनसे बात करें । हो सकता है इस लेख को पढ़ने वाले जानने वाले लोगों को स्वयं तनाव नहीं हो,  परंतु आज के बहुत युवाओं को नौकरी का तनाव है, विद्यार्थियों का पढ़ने का तनाव है । आप लोगों से करबद्ध प्रार्थना है इस सूची को अधिक से अधिक लोगों तक बांटे जिससे की परी फाउंडेशन का यह  काम का अधिक से अधिक लोगों को लाभ हो सके धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *