हमारे कर का 1 लाख करोड़ सरकार बनाने में लग गया ! महाराष्ट्र विधान सभा से मतदाता को सबक लेना है

महाराष्ट्र मे बहुत समय से आप हलचल देख रहे है । परंतु आइये आर्थिक पहलू को समझें । Times Of India के समाचार के अनुसार भाजपा दूसरे दल और निर्दलीय विधायकों को अपनी तरफ करने के लिए 50 करोड़ रुपये तक का लालच दिया है और कुछ विधायकों ने शायद इस धन को ले भी लिया हो । कुछ अपुष्ट सूत्रों के अनुसार इस धन की मात्र 500 करोड़ तक है । अब आप समझें की यदि एक विधायक को अपनी तरफ मिलने के लिए एक दल 500 करोड़ तक खर्च कर सकता है तो आप यह मान लें की उस विधायक के अपने पास होने से वह राजनैतिक दल कम से कम दस गुणा धन तो कमाएगा अर्थात प्रति विधायक 5000 करोड़ वह राजनैतिक दल कमाएगा । इसके साथ ही वह विधायक जो अपने स्तर पर भ्रष्टाचार करे वह अलग है ।

दक्षिण भारत के एक प्रान्त  के विधायक की संपत्ति एक रात मे 185 करोड़ बढ़ गयी जब उसने अपने दल को बदला । अब यदि महाराष्ट्र की विधान सभा की बात करें, तो इसमें 289 विधायक है । लगभग 300 विधायक के प्रदेश मे सरकार बनाने के लिए यदि बाहर के विधायक को 500 करोड़ दिये जा सकते है तो अपने दल के विधायक को भी इसके आसपास का वादा तो किया ही होगा । अर्थात एक सरकार बनाने के लिए 1.5  लाख करोड़ के आसपास एक राजनैतिक दल सरकार बनाने के लिए खर्च कर सकता है, जिस प्रदेश का सालाना बजट लगभग 4 लाख करोड़ का है । आप सरकार बनने से होने वाले लाभ का अंदाज़ लगा सकते हैं ।  इस पूरे धन को इन विधायकों या दलों ने अगले 3 वर्षों मे राज्य मे होने वाले योजना आयोग के कार्यक्रमों से ही निकाल लेना है । तो जो विकास के कार्य होंगे वह किस हद तक प्राभावित होंगे आप इसका अनुमान लगा सकते हैं । इस प्रदेश मे एक वर्ष मे लगभग 2 लाख करोड़ की योजनाएँ चलायी जानी है । तो एक वर्ष की योजनाओं का 75% तो गया इस सरकार बनाने में ।

दूसरे शब्दों मे सालाना बजट के 25% सरकार बनाने मे खर्च हो जाएगा तो इस धन की वसूली आप से और मेरे से ही कर के मध्ययम से होगा । इसके अतिरिक्त आप यह भी समझें कि इस हमाम मे सब नंगे हैं । कोई सांपनाथ और कोई नागनाथ ।  कोई भी राजनैतिक दल इसका अपवाद नहीं है। दुर्भाग्य यह है कि जनता इन सब पर अन्ध  श्रद्धा रखे हैं । जो शिव सेना के समर्थक है उनके लिए शिव सेना का ठीक कदम है, जिनके लिए भाजपा ठीक वह उनके कदम को ठीक बताएँगे और जो लोग राष्ट्रीय काँग्रेस के कट्टर समर्थक है उनके लिए वही ठीक है । कुछ लोग सर्वोच्च न्यायालय या उन दलों को शुचिता का उपदेश देंगे । शायद सर्वोच्च न्यायालय कोई नया कानून भी बना सकती है । परन्तु इस पूरे खेल में आम जनता को भी कदम उठाना चाहिए । अब जिन लोगों के व्यक्तिगत स्वार्थ इन राजनैतिक दलों से है, जो उन विधायकों के द्वारा दिये गए कामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उन्हे आप अपवाद समझ कर या स्वार्थी समझ कर छोड दे।

आप इस सच्चे नेता की भी बात सुने ।

इस प्रकार के कदमों को रोकने के लिए सभी आम जनता के लोगों से अपील है कि वह अपने लिए भविष्य में कुछ कदम उठाएँ । सबसे बेहतर है कि आप अपने आज के चुने विध्यकों से कहें कि यदि आपने अपने दल को बदला तो भविष्य में आपको हम अपना विधायक नहीं चुनेंगे । समस्त जनता यह सोचे कि यदि चुनावों से एक  वर्ष पहले या एक वर्ष बाद तक कोई भी व्यक्ति स्वार्थी हो कर अपना दल बदलेगा तो उसे हमारा मत अगले चुनाव में नहीं मिलेगा और आप एक दो को ऐसा करेंगे तो किसी का भी साहस नहीं होगा कि इस प्रकार के दल बदल की कार्यवाही को करेंगे । हम सबको भी एक जिम्मेवार नागरिक का धर्म निभाना पड़ेगा ।

https://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/bjp-offered-rs25-50cr-to-cong-sena-mlas-wadettiwar/articleshow/71976445.cms

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