
अभी कल ही आपने कारगिल युद्ध का विजय दिवस मनाया । यह अच्छा है कि हम अपने देश में सैनिकों द्वारा दी गई, शहादत को और उनके पराक्रम को हमेशा स्वीकार करें । परंतु इसके साथ इतिहास से कुछ सबक भी लेना चाहिए, मैं आपको 1999 के उस समय पर लेकर जाना चाहता हूं, जिस समय यह कारगिल युद्ध हुआ था और उसमें भारतीय सैनिकों ने विजय प्राप्त की थी । एक और घटना विश्व में चल रही थी, आज हम उस दूसरी घटना पर चर्चा करना लगभग भूल गए हैं । या यूं कहिए हमें भुला दिया गया है । आइए जरा दोनों की कुछ तारीखों को समझते हैं उसमें समन्वय के साथ, उसकी चर्चा करने का प्रयास करते हैं ।
मेरा यह लेख, उन लोगों के लिए बिल्कुल नहीं है जो एक राजनीतिक दल अथवा दूसरे राजनीतिक दल को राष्ट्र से बड़ा मानते हैं । मेरे व्यक्तिगत विचार से, राष्ट्रीय भावना किसी भी दल से बहुत सुपर है, और आज के समय में हमारी सभी राजनीतिक सत्ता धारी, अंतरराष्ट्रीय व्यापारी संघ द्वारा संचालित किए जा रहे हैं । इसलिए उनकी गतिविधियों में, हानि और लाभ आपको नजर आए । दुर्भाग्य कि हमारे देश के भावुक व्यक्ति ने, उसी तरह सोचना विचारना प्रारंभ कर दिया है । और इसीलिए कुछ लोग एक राजनीतिक दल के पक्ष में और दूसरे के विपक्ष में होना ही एक प्रकार का की राष्ट्रभक्ति समझते हैं ।
इस घटना को विस्तार से समझते हैं । लगभग अप्रैल के महीने में, 1999 में कारगिल क्षेत्र में कुछ चरवाहों ने, विदेशी अर्थात पाकिस्तानी सैनिकों को देखा । उस समय आसपास की सेना के जवानों को सूचना भी दी। आधिकारिक रूप से भारत सरकार के पास 3 मई तक यह सूचना आ चुकी थी कारगिल के क्षेत्र में कुछ घुसपैठ हो चुकी है । आधिकारिक रूप से ही सेना के कुछ जवान वहां पर 5 मई को भेजे गए । उनमें से 5 जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों ने बंधक बनाया और उनकी हत्या कर दी । लगभग 9 और 10 मई को पाकिस्तानी सैनिकों ने, भारत के शस्त्र भंडार के ऊपर आक्रमण किया और द्रास, मशकोह और काकसर इलाके से भारत की सीमा में घुसने का प्रयास किया । उस समय करगिल की सीमा के ऊपर भारत का सैनिकों का बहुत अधिक जमावड़ा नहीं था, तो भारतीय सैनिकों को कारगिल की तरफ भेजा गया । लगभग 26 मई को, भारतीय वायु सेना में उन स्थानों पर जहां पर की घुसपैठ हो चुकी थी, बमबारी की, इसी कड़ी में 27 मई को दो मिग विमान पाकिस्तान ने मार गिराए । 28 मई को फिर भारतीय वायुसेना का एक और विमान पाकिस्तानी सैनिकों ने मार गिराया । अभी तक यह समाचार भारतीय मीडिया में बहुत थोड़ा बहुत आ रहा था । कारण आप सब समझते हैं, कि सारा मीडिया धन के लिए काम करता है । और उस समय धन के लिए एक बहुत बड़ा खेलों की प्रतियोगिता चल रही थी । इसे आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कप भी कहते हैं । 1999 का वर्ल्ड कप शुरु हो चुका था । यह सारा समाचार यदा कडा ही मीडिया के द्वारा बाहर आता । भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के ऊपर बड़े उद्योगपति सट्टा लगवा कर पैसा कमाते हैं । इसलिए ऐसे समय में यह समाचार न तो भारतीय मीडिया ने दिखाया और न ही दिखाना चाहता था । ऊपर से अपने आकाओं के विरोध में तो वह चल नहीं सकता, और ना ही अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संस्थान यह चाहते थे । इससे यह खबर ठंडे बस्ते में पड़ी रही ।
30 मई तक, वर्ल्ड कप की प्रारंभिक मैच चलते रहे और अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच में एक भी मैच नहीं खेला गया । लेकिन उस समय जो लोग याद कर सकें, समझे कि भारतीय टीम के विजय होने पर बहुत सी कंपनियों ने अपने उत्पादों में छूट का ऐलान किया था । लेकिन उनको यह स्पष्ट था कि भारत अंत तक तो जीतेगा नहीं और उनको छूट का पैसा देना नहीं पड़ेगा । इसी चक्कर में बहुत से टेलीविजन बिक जरूर गए ।
उधर 1 जून को पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर और लद्दाख के नेशनल हाईवे के ऊपर भी बमबारी की । 5 जून को भारतीय सेना ने, उन दस्तावेजों को मेडिया में दिखाया जिससे यह पता लगता था कि पाकिस्तानियों ने घुसपैठ की है । पहली बार अब यह समाचार मीडिया में दिखाई दिया । और इस तारीख के बाद ही भारतीय सेना ने, पाकिस्तान की घुसपैठ वाली जगहों पर आक्रमण शुरू किया । उससे पहले यह सारा का सारा ऑपरेशन गुपचुप गतिविधि से चल रहा था । या दूसरे शब्दों में यह समझें किस सरकार इसको धीरे-धीरे टाल रही थी, या कोई उनसे टलवा रहा था । मंशा ऐसी लगती है कि किसी तरह यह वर्ल्ड कप समाप्त हो जाए । दर्शक का भारत और पाकिस्तान के मैच में सर्वाधिक पैसा लगता है । यदि भारत पाकिस्तान मैच से पहले यह बात सार्वजनिक हो जाती तो, दोनों देशों में कटुता जनता में आ जाती है तो व्यापारियों को बहुत बड़ा नुकसान होता है ।
आप यहां पर हर तारीख को देखिए कि कब कब भारत सेना ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया, और अपनी भारतीय जगह को खाली करवाया । लेकिन यह सब किया गया 8 जून की तारीख के बाद । क्योंकि 8 जून को भारत और पाकिस्तान का मैच हुआ, जिसमें भारतीय क्रिकेट टीम जीत गई । 15 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति ने, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को, अपनी सेनाओं को वापस बुलाने के लिए कहा । यह सारी बातें आपको आज इंटरनेट पर मिल सकती है । अब इसके साथ आप एक बात को और देखिए, 6 जुलाई को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि हम अपनी सेनाओं को वापस बुला रहे हैं । लेकिन भारत सरकार पर यह दबाव था कि अब आप कुछ कार्यवाही नहीं करेंगे, क्यूंकि पाकिस्तान की सीना अपना रास्ता वापस जा रही है । भारत सरकार ने उन तमाम पाकिस्तानी घुसपैठियों को 4 दिन का समय दिया, भारतीय सीमा को छोड़कर के पाकिस्तान की सीमा में वापस चले जाएं । तब तक उन पर कोई आक्रमण नहीं किया जाएगा । जबकि इस निर्णय पर भारतीय सेना में बहुत आक्रोश था, क्योंकि उस सेना के भाई बंधु ही पाकिस्तान से लड़ने में हताहत हुए थे । राजनीति ने अपना खेल दिखाना था, सो दिखा दिया ।
उसके पश्चात, 16 जुलाई के बाद भारतीय सेनाओं ने आगे बढ़ना शुरू किया । उन्हें पाकिस्तान की सेना उसे कोई बड़ा प्रतिरोध नहीं मिला । और इस प्रकार 26 जुलाई को, अंतिम शिखर पर भी भारतीय सेना का कब्जा हो गया । और तथाकथित रूप से हम इसे कारगिल का विजय दिवस मनाते हैं । हमने किसी की जमीन नहीं जीती, कोई हमारे घर में आ गया, उसको हमने देख लिया । अब पकड़ सकते थे, उसे सजा दे सकते थे, लेकिन सरकार की तरफ से आदेश आया कि उसे वापस जाने दो । उसके जाने के बाद हमने अपने घर पर पर ताला लगा दिया । आप सोचिए हमने क्या जीता । सैनिकों द्वारा की गई, प्रतिक्रिया पर, अथवा पराक्रम पर मुझे पूरा गर्व है । परंतु साथ में यह बात भी सोचने का विषय है, कि क्रिकेट खिलाने वाले देश हमारे देश की राजनीतिक सत्ता पर कब्जा कर सकते हैं । दो देशों को लड़वा सकते हैं । और तब तक लड़ाई रुकवा सकते हैं जब तक एक क्रिकेट का मैच समाप्त नहीं हो जाता । इससे आप समझे किसी एक दल, या किसी एक व्यक्ति के ऊपर आक्रोश नहीं है । परंतु पूरी इस व्यवस्था पर प्रश्न कितने हैं ? आज हम कारगिल दिवस मनाते हैं । परंतु इसके पीछे प्रतिदिन का इतिहास भी समझें ।
याद रखें यह वही समय था जिसके बाद हमें विश्व की सबसे लंबे समय तक चलने वाले विमान अपहरण को इस देश ने देखा और भारत सरकार ने पकड़े आतंकवादियों को छोड़ दिया था ।