बजट में हमारी सरकार से अपेक्षाएँ और सरकार की मजबूरी ! स्वार्थ से हट कर देश हित मे विचारें

अभी 5 जुलाई को भारत सरकार अपना नया बजट देने वाली है। इससे पहले मोदी सरकार द्वारा पांचवा बजट दिया जा चुका है और एक अंतरिम बजट दिया गया है। दरअसल जब सरकार जाती है अंतरिम बजट बना कर जाती है और जो नई सरकार आती है वह नया बजट बनाती है। इस वर्ष जिन्होंने बजट बनाया है वही अब बनाने वाले पूर्ण बजट बनाने वाले हैं। सरकार विभिन्न वर्गों से उनकी राय पूछ रही है, जिससे सबको लगे देश के बजट में अपनी भागीदारी दे रहे हैं। परंतु आइए समझें यह सब अंग्रेजी में eyewash या धोखा है बजट से दिन से पहले आपको आज समझ आ जाएगा के बजट में कुछ नया बदलाव नहीं होने वाला।

पिछला बजट जो सरकार ने अंतरिम रूप से दिया था वह 2784200 करोड़ रुपए के आस पास है कार भी उसी के आसपास बजट बनाएगी क्योंकि उनके पास वही आंकड़े हैं। इस बजट के अनुसार सरकार को 704000 करोड रुपए का घाटा  है। अब जब किसी सरकार के पास 2784200 करोड़ में से 7 करोड़ का घाटा होगा वह सरकार आपकी किन उम्मीदों पर खरी उतर सकती है और आपके लिए क्या काम कर सकती है आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं। मजे की बात यह है लोगों को फिर भी लग रहा है कि सरकार से इस बजट में उम्मीद की जाए देश की बेहतरी के लिए कदम उठाए। परंतु ऐसा संभव नहीं है क्योंकि सरकार की अपनी मजबूरियां हैं कितनी सरकारें आई और गई लेकिन सरकार की नीतियां अपने आप में कम बदलाव लाती है। उसका सबसे बड़ा कारण है देश की आर्थिक व्यवस्था। जब सरकार के पास पैसा नहीं है तो वह आपके काम के लिए कुछ खर्चा कैसे करें परंतु आप इन आंकड़ों में कैसे फंसते हैं, आइए जरा इसको समझते। अब आप देखिए बजट में अनुमान बजट बताया जाता है फिर संशोधित बजट बताया जाता है और अन्त मे वास्तविक बजट बताया जाता है और इन सब में अंतर होता है । प्रश्न यह है कितने वर्षों के बाद भी आपकी वास्तविक बजट और जो अनुमान बजट है उस में अंतर क्यों होता है और एक और बात संशोधित बजट कब और क्यों बनाया जाता है ?

अब आइए विस्तार से इस बजट को समझते हैं मैंने आपको बताया 2784200 करोड़ का सरकार का बजट है । बजट आप भी बनाते हैं, अपने घर का हर बच्चा बनाता है, अपने हॉस्टल में हर बच्चा बनाते अपने कॉलेज में, ग्रहणी बनाती अपने घर का बजट ।  आप बजट मे अपनी आय और व्यय क्या ब्यौरा रखते हैं । मेरी कितनी इनकम है और मुझे क्या और कितना खर्चा करना है ? आप के घरेलू बजट में और सरकार के बजट में एक बड़ा महत्वपूर्ण अंतर है, वह यह कि आप जब बजट बनाते हैं तो पहले आप अपनी इनकम देखते हैं और उसे इनकम के लिहाज से बांटते हैं। आप यह समझते हैं मेरे लिए यह खर्चा जरूरी है पैसा कम है तो जो जरूरी खर्चा नहीं है या वह नहीं किया जाए इसलिए आप के महीने साल खत्म के बाद का बजट में कुछ पैसा आपकी सेविंग के लिए यानी बचत के लिए बच जाता है। भारत सरकार का बजट इससे बिल्कुल उल्टा है । सरकार पहले अपने खर्चे निकालती है और फिर सोचती है उसके लिए पैसा कहां कहां से लिया जा सकता है। अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सरकार खर्चे का बजट बताती है मेरा खर्चा कितना होना है और उसके लिए कमाने के नए नए तरीके से निकालती है। जब भी आप देखेंगे नेता लोग चुनाव में कुछ घोषणा करते  हैं उसका मुद्दा होता है हम अमुक अमुक मद में खर्च करेंगे कभी यह नहीं बताया जाता के धन की भरपाई कैसे होगी।

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अब देखिए 2784200 करोड़ रुपए का बजट और इसमें सरकार की आमदनी कहां से आती है आपको पता है कि कैसे आती है ? इस साल लगाने के बाद सरकार 19 लाख 77 हजार करोड़ रुपए का कर जमा कर लेगी  और सरकार को इस वर्ष 704000 करोड़ रुपए का नया कर्जा लेना है सरकार को 90 हजार करोड़ रुपए के अपने उपक्रम बेचने हैं जिसे disinvestment कहते हैं बजट की प्रक्रिया में आप उसको देख सकते हैं जो अंत में आप को मिलने वाली है । लेकिन जो दुर्भाग्यपूर्ण बात है जो समझने ज्यादा जरूरी है सरकार 704000 करोड़ रुपए कर्जे भी और अपने उपक्रम बेचने के बाद 665000 करोड़ों रुपये पिछले कर्ज की ब्याज की अदायगी में देगी इसमें प्रिंसिपल अमाउंट यानि मूलधन बिल्कुल भी नहीं है । अब यह बजट कितना बढ़कर कैसे बनाया गया है ।  2017 का बजट 21 लाख करोड़ था 17 से 19 आते-आते 3 साल में आपके बजट को 2141975 करोड़ से 2784200  करोड़ बना दिया गया । तीन सालों मे से 64000  करोड़ रुपए बढ़ा दिया गया मतलब करीबन 30 पर्सेंट आपका बजट गया यह ? कैसे बड़ा बजट इन्फ्लेट किया जाता है,  बताया जाता है क्योंकि आखिर में आपको अर्थशास्त्रियों ने क्या बताना है कि राजस्व घाटा राजकोषीय घाटा घरेलू उत्पाद का कितने प्रतिशत हमने कर दिया । वह सकल घरेलू उत्पाद पर सारी बातें बताने के लिए आपको यह सब डाटा बना दिया जाता है मैं आपको इसी में जो डाटा आया है सरकार का आपको देख कर बताता हूं जिसको आप देख सकते हैं मैं आपको उसके लिंक भी दे दूंगा सरकार की एक गिनती है कि भारत में जो इन्होंने आंकड़े दिए हैं वह 11 परसेंट के सकाल घरेलू  उत्पाद की बढ़ोत्तरी पर निकाले हैं । सरकार ने बोला है इस साल भारत सरकार की उन्होंने जो है जीडीपी जो है 21007439 करोड़ की है । जबकि पिछले वर्ष यह 18840731 करोड़ की थी । बजट में 11:30 % बढ़ोत्तरी बताई गयी है ।  अब आप ध्यान दीजिएगा आजकल पिछले कुछ दिनों से यह समाचार आ रहा है कि मंदी आ रही है,  मंदी आ रही है सकाल घरेलू उत्पाद कि बढ़ोत्तरी 7% चल रही है तो 11:30 % के आंकड़े पर बजट क्यों ? लेकिन बजट में बढ़ोत्तरी कैसे होगी सोचने की बात है।  इस वजह से आपके लिए जो खर्चा करना चाहती है वह नहीं कर सकती,  मैं आपको बता रहा हूं सरकारी आंकड़ों को देखकर ही कि सरकार हर वर्ष अपने बजट में 19 प्रतिशत सरकार नया कर्जा ले रही है । यहाँ पर बजट मे एक चित्र बना होता है इसमें देख सकते हैं कि रुपये कहाँ से आता और  कहां जाता है ?  दूसरी सरकार ने 3 सालों में कुछ और काम किया जो आपको आज बता रहा हूँ ।  3 साल पहले हमारे बजट में दो मद दिखाये जाते थे,  जिसका नाम Revenue Foregone इसको हिंदी में परित्यक्त राजस्व कहते हैं ।  यह वह पैसा होता था जो सरकार कंपनियों पर कर माफ कर देती थी जाहिर सी बात है यह बड़ी कंपनियां ही इसका फायदा उठाती थी । अब वह इन्होंने बजट में लिखना बंद कर दिया उसके बाद एक और लाइन आती थी बजट में जिसे debt servicing   कहते थे उसका हिंदी में नाम था मतलब था ऋण शोधन । आपने जैसे इस बार 665000 करोड रुपए चुकाना है क्याज का तो कुछ पैसा सरकार मूलधन में भी चुकती थी तो मतलब यह होता था कि जितना नया कर्जा आया है उससे ज्यादा अब वापस करते थे। यह भी  उन्होंने हटा दिया ताकि किसी को यह पता ना लगे क्या अपने मूलधन कब वापस करना है । इस साल सरकार ने एक नया खर्चा लिखना शुरू किया है जिसे इसमें पेंशन कहते हैं ।  वह  5% है ।

मेरा यह कहना कतई नहीं है कि सरकार की मात्र आलोचना करें परंतु सरकार के साथ खड़े हो कर सकारात्मक योगदान दें और खुद भी समझे सरकार कैसे और हमारे लिए क्या करे ? पर जो भी सोचें देश के हिट में अपने स्वार्थ से उठ कर देखें ।

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