प्रदूषण के कारण और निवारण ! जिन्हें कोई भी सरकार नहीं समझती तो निवारण कैसे होगा ?

आज दिल्ली के प्रदूषण के विषय में करने के लिए विचार करते हैं । आइए समझते हैं की दिल्ली के प्रदूषण कारण क्या है, कुछ समाचार यह भी आया हरियाणा और पंजाब में पराली  जलायी जा रही है ।  जो बताया जाता है क्या वही सत्य है आइये इसको को परखिये,  समझिए कि यदि पंजाब और हरियाणा पराली की हवा दिल्ली में प्रदूषण पैदा करने के लिए, तो एक प्रश्न है सारी हवा दिल्ली में रुक क्यों जाती है दिल्ली के आगे राजस्थान चली जानी चाहिए, मध्यप्रदेश में जानी चाहिए लेकिन वहां तो नहीं जाती तो दिल्ली में वह हवा रुक जाती है ? ऐसा कैसे क्या जमीन के ऊपर कोई ट्रैफिक पुलिस की लाल बत्ती लगी हुई है कि उस हवा को रोक लेता है इसका अर्थ यह पूर्ण सत्य नहीं है । अभी CSE की सुनीता नारायण जी ने एक रिपोर्ट निकाली थी जिसके अनुसार प्रदूषण के लिए दिल्ली में जो से अधिक कारण थे उनमें सबसे अधिक यातायात प्रबंधन और उसका मानना था 39%  परिवहन से है । फिर आई सड़क की मिट्टी जिसे हम रोड डस्ट कहते हैं 18% और उसके बाद पावर प्लांट से निकलने वाला धुआं जो दिल्ली के विद्युत उत्पादक संस्थानों से निकलता है वह लगभग 11% और इमारतों के बनने में 8% का योगदान है ।

उसमें एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार जहां तक कहां गया 17% कारण  सड़क के मिट्टी के कण है । आइए थोड़ा इसको आगे समझें अभी 30 अक्टूबर 2019 दिन के EPCA की सदस्य  सुनीता नारायण जी ने बताया है कि 65% कारण स्थानीय स्त्रोत है । दिल्ली के अंदर के पराली का योगदान 5 से 7% है यह सरकारी संस्था जिसकी कि सुनीता नारायण सदस्या है,  ने बताया है और मैं उसका लिंक लेख के नीचे दे रहा हूं । आप इस को समझ सकें और देख सकें । इसका मतलब हम पराली पर मात्र राजनीति कर रहे हैं । दिल्ली के लोग हरियाणा पर गालियां दे देंगे,  हरियाणा के मंत्री पंजाब को गालियां देंगे । उस समय दिल्ली की सरकारी रेपोर्ट बताती है कि 7% मात्र पराली का योगदान है । दिल्ली के विद्युत उत्पादक संस्थान 11% का योगदान करते हैं, यदि वह furnace oil और पेट कोक का उपयोग बंद कर दें तो बहुत हद तक यह कम हो जाएगा ।

अब आते है दिल्ली के स्थानीय प्रदूषण के तथाकथित सबसे बड़े कारण यातायात पर और इसका विश्लेषण करते हैं ।  जब दिल्ली की सरकार ने प्रदूषण के लिए ODD EVEN को 4 से 15 के बीच में लागू कर दिया । विश्व की समस्त रेपोर्ट यह बताती हैं कि प्रति व्यक्ति कार का प्रदूषण बस से 6 गुणा अधिक है । कार में तीन चार पांच व्यक्ति जाते जबकि बस में 45 लोग जाते हैं।  उसके बाद यह भी बताया गया है कि साथ बाइक का प्रदूषण कार से भी ज्यादा होता है । तीसरी बात सबसे ज्यादा प्रदूषण डीजल की गाड़ी देती है ।  अब समझिए दरअसल डीजेल की कारें क्यों बनी ? पेट्रोल बना था कार के लिए।  डीजल पर कर कम करके सस्ता किया,  कारण था आपके डीजल से ट्रक, बस (सार्वजनिक परिवहन)  और किसानों के ट्रैक्टर (खेती के लिए ) और खेत मे सिंचाई के लिए  चलने वाले पम्प चलनी थे । सरकार उसके लिए अनुदान देती दे रही है । उससे बस यात्रा सस्ती हो जाए ट्रक चलाना  सस्ता हो जाए और साथ में किसानों के लिए सस्ती सिंचाई और खेती व्यवस्था हो जाए । लेकिन हुआ क्या,  सारी सब्सिडी का उपयोग डीजल कार बनाने वालों ने ले लिया । अभी जो सबसे अधिक कारों का इस्तेमाल होता है तो जो पैसे वाले लोग हैं जो डीजल की कार खरीद सकती है, सरकार के सारे अनुदान का फायदा तो वह ले लेते हैं ।  एक बात आप और समझे कि कुछ लोग कहेंगे कि हम कारों का क्या कर सकते हैं,  मैं आपको बताता हूं क्या कर सकते हैं ? सिंगापुर देश में फरवरी 2019 इसके बाद आप नई कार खरीद नहीं सकते । नयी कार उस देश मे तभी आएगी, जब आप पुरानी कार को ध्वस्त कर देंगे । उस समय जितनी कारें थी उससे ज्यादा कार सड़क पर कभी आएगी ही नहीं । लेकिन इससे पहले उन्होंने वहां की बसों को और मेट्रो रेल  को इतना बढ़िया बना दिया कि किसी को कार खरीदने की जरूरत ही नहीं पड़ती है ।

आइए एक बात और समझें । जब ODD EVEN पर बात आ रही है उसको थोड़ा आंकड़ों से समझते हैं । आज दिल्ली मे लगभग 34 लाख कारें हैं, वहीं आज दिल्ली में  72 लाख मोटरसाइकिल और द्विपहिया वहाँ और अब ध्यान दीजिएगा टू व्हीलर का प्रदूषण कार से ज्यादा है तो 74 लाख द्विपहिया को आप बंद नहीं कर पा रहे हैं  । उसके अतिरिक्त दिल्ली अकेली में चार लाख टैक्सी है  अब जब ODD EVEN लागू होगा तो 17 लाख कारें दिल्ली में चलेंगी औसतन किसी भी दिन । बाकी 17 लाख  हटी गाड़ियों  में जिनमे महिला चालक है, वह चला  सकेंगी । इसके अतिरिक्त समस्त सरकारी गाड़ियों को छूट है ।  अब जो 4 लाख टॅक्सी हैं वह भी अतिरिक्त चक्कर लगाएँगी तो इस प्रकार से आप अधिक से अधिक 6 लाख गाड़ियों को सड़क से हटाने में सफल होंगे । इसके साथ ही 2.5 लाख ऑटो रिक्शा भी है । तो कुल मिला कर लगभग 105 लाख (अभी बस और ट्रक छोड़ दिये)  प्रदूषण वाली गाड़ियों मे से अधिकतम 9 लाख  रोकने में सक्षम होंगे । अब क्योंकि गाड़ियों का योगदान 39% है इसका अर्थ गणित से आप 3.45 % प्रदूषण कम कर पाएंगे ।

अगली एक और पर मैं बात करूंगा जिसे temperature inversion के नाम से जाना जाता है । हमारे देश मे जो अखबारों मे छाप जाता है, या TV पर आता है लोग उसे ही सत्य मान लेते हैं । और समाचार पत्र और टीवी के समाचारों को आप किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं, इससे आप भली भांति परिचित हैं । अब साथ मे यह समझिए कि यह प्रदूषण दिवाली के आस पास ही क्यों सक्रिय होता है ? इसे समझने के लिए आइये पहले कुछ वायु मण्डल की बातें समझें । साधारणतया जब आप धरती से ऊपर की तरफ उठते हैं तो तापमान घटता जाता है । अब जब आप अक्तूबर नवंबर के महीनों की बात करें तो तब ठंड के मौसम का आगमन होता है और अब सुबह सुबह धरती ठंडी होती है । अब धरती ठंडी है और इसके ऊपर का वायुमंडल भी ठंडा है , ऐसे मे धरती के थोड़ा सा ऊपर कुछ गरम हवा की तह बन जाती है । यह गरम हवा नीचे की ठंडी हवा और ऊपर की ठंडी हवा के बीच में बांध कर रह जाती है । इसे आप आईसी चित्र के माध्ययम से समझ सकते हैं । अब जब तक सूर्य कि किरणे इस तह तो समाप्त नहीं कर पाएँगी तब तक यह हवा हटेगी नहीं और नीचे से प्रदूषित वायु बाहर नहीं जा पाएगी । इस कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है । अब जब आप प्रदूषण घटाने के लिए पानी का छिडकाव करते हैं तो आस पास के मिट्टी के कण ऊपर उड़ना बंद कर देंगे । और आप धूल मिट्टी उड़ती कम नज़र आएगी । एक बात और यदि मिट्टी में और किसी रसायन के कण न मिले हों तो यह हानिकारक नहीं है । हर किसान जीवन भर इस मिट्टी के साथ रहता है उसे प्रदूषण संबंधी शिकायत नहीं होती है ।

अगले अंक में इसके निवारण के विषय में

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