प्रिय विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों
अभी हाल ही में आपकी परीक्षाएं संपन्न हुई है, मैं हमेशा से यही बात कहता हूं की परीक्षा जितनी विद्यार्थी के लिए आवश्यक है, उतनी ही शिक्षकों के लिए भी आवश्यक है। इसी से शिक्षक यह समझ पाता है कि मेरा विद्यार्थी क्या नहीं समझ पाया और क्या समझ पाया ? इस परीक्षा के परिणाम के बाद ही विद्यार्थी विभा वर्क और शिक्षक यह समझते हैं कि उन्हें पिछले दिनों में क्या-क्या त्रुटि आ रही और अपने आप के आकलन में क्या कमी रह गई। अब यही समझने का समय है, जो हो चुका वह हो चुका परंतु आगे के लिए हम कम से कम पुरानी त्रुटियों को संभाल सके
सभी अभिभावकों विद्यार्थियों और शिक्षकों से यह निवेदन है, क्यों अपनी अपनी कार्य क्षेत्र में पुनरावलोकन करें कि उन में क्या-क्या कमियां रह गई थी?
विशेष रूप से अब मैं बात करने वाला हूं शिक्षकों और अभिभावकों के संदर्भ में। शिक्षकों और अभिभावकों को अब यह समझना है कि हमारे बच्चे यदि तो अपने आकलन पर सही उतरे हैं तब तो आपको अधिक चिंता की आवश्यकता नहीं है, परंतु यदि आप भी समझते हैं के विद्यार्थियों ने उतना बेहतर नहीं किया और साथ में विद्यार्थी भी समझता है कि उसमें कोई कमी रह गई थी । अब आप सबको मिलकर के उसके लिए काम करना है।
यदि हमारा विद्यार्थी यह कहता है, मुझसे अमुक अमुक गलतियां हो गई है और मैं भविष्य में इस पर पूरा ध्यान रखूंगा, उसके पश्चात शिक्षकों और अभिभावकों को मात्र विद्यार्थी का मनोबल बढ़ाना है और उसको यह कहना है। चलो अच्छा हुआ तुम्हें अपनी कमियों का एहसास हुआ और अब आगे के लिए कमर कस के आगे बढ़ो। कोई बड़ी बात नहीं है यह परीक्षा जो हो गई है, कम से कम इससे आगे के लिए आप सबक ले लो। ऐसा कहकर आप विद्यार्थी के अधिक और साथ-साथ उसको आगे बढ़ने में मदद कर सकेंगे। यदि आप एक कदम आगे पढ़ना चाहते हैं तो यह काम शिक्षक के लिए बहुत आसान नहीं होगा, क्योंकि उनके पास बहुत से विद्यार्थी होते हैं, परंतु यदि अभिभावक चाहे तो इस पर काम कर सकते हैं। इस समय अभिभावक, और शिक्षक, जब विद्यार्थी ने यह मान लिया उससे कुछ कमियां रह गई है, तब आप उसके साथ बैठे और आगे उसने अपनी शिक्षा को किस प्रकार चलाना है, उसे स्वयं रास्ता तय करने दे। आप मात्र इतना करें उससे, यदि वह बताना चाहे क्या पूछे अब तुम क्या क्या आगे करोगे जिससे तुम्हें अधिक लाभ मिलेगा। इसके साथ ही आप यह भी कह सकते हैं इसमें उसको आपके योगदान की क्या आवश्यकता है।
यहां यह समझना बहुत आवश्यक है, कि जो विद्यार्थी परीक्षाओं में यथोचित प्रदर्शन करने में असमर्थ रहा है और अब भी वह अपनी किसी भी प्रकार की त्रुटि को स्वीकार करने में असमर्थ है । उसे समझा पाना बहुत कठिन है, परन्तु फिर भी प्रयास किया जा सकता है । परन्तु अगर आपने उस विद्यार्थी को डांटना प्रारंभ कर दिया कि उससे आप कई बार कह चुके हैं, पिछले बार में उसने नहीं सुना था, या आप यह कहें कि मुझे तो पता था कि तुम नहीं कर पाओगे तो आप उस विद्यार्थी को लताड़ करके आत्म सुख भले ही प्राप्त करें और आत्म संतुष्टि कर लें पर आप उसके लिए सहायक और सकारात्मक भूमिका नही निभाएंगे । प्रयास यह चाहिए कि हरपल मेरा उसके उत्थान की चिंता मेरे लिए अपने आधिकारिक क्षेत्र से अधिक महत्वपूर्ण हो ।
यही बात सभी अभिभावक और अध्यापक अवश्य समझें