क्या कोई सरकार आपको रोजगार दे सकती है ? सरकारी मजबूरी जानिए !

भारतवर्ष में रोजगार की समस्या!

भारत देश में बेरोजगारी एक बहुत प्रमुख समस्या है, लोगों का यह मानना है कि भारत देश की सरकार उनके रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं कर रही। परंतु आइए इस समस्या के मूल को समझें, हमें यह जानना होगा कि प्रतिवर्ष कितने लोग देश में नई रोजगार की तलाश में आते हैं, और उनमें से कितने ऐसे हैं अपनी मर्जी का रोजगार मिल पाता है ?

इस देश में प्रतिवर्ष 1 करोड़ 90 लाख बच्चे पैदा हो रहे हैं अब इन  बच्चों को आज से 18 वर्ष बाद 20 वर्ष बाद किसी ना किसी रोजगार की तलाश होगी, लोगों की मांग है किसी प्रकार से    सरकार प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ से लेकर 2 करोड़ के बीच में रोजगार की व्यवस्था करें।

आइए समझते हैं कि किस किस प्रकार की परेशानियां लोगों को और सरकारों को है, हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था रोजगार दिलाने में लचर हो चुकी है बच्चे बड़े-बड़े कॉलेजों में पढ़ कर बाहर आते हैं, वैसे भी 95% तक लोगो को रोजगार नहीं दिया जा सकता। इसका कारण यह है उनमे रोजगार की दक्षता या क्षमता ही नहीं। ऐसा मैं नहीं, ऐएसईआर 2018 की रिपोर्ट कहती है।

अब जहां तक यह बात रही भारत में इस समय लगभग 35 से 40 लाख नौकरियां ऐसी है, जिन  पर भर्ती नहीं हो रही है। बहुत से विभागों में,  विद्यालय में और बड़े-बड़े दफ्तरों में और नए लोगों की भर्ती नहीं हो रही है।  इसका सबसे बड़ा कारण यह है इस सरकार के पास, अपने अभी के सरकारी लोगों को पगार या तनख्वाह देने के लिए धन नहीं है। अगर हम सिर्फ केंद्र सरकार की बात करें तो इस सरकार के पास 21 लाख करोड़ के बजट में लगभग 7 करोड़ का नया कर्जा है।  अब इस कर्ज़ को चुकाने के लिए सरकार या तो सरकार नए कर लगाएं और या फिर, अपने कारखानों में, सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले लोगों को कम करें। आज की सरकारों को यही ठीक लगता है कि आने वाले समय में भर्तियां कम की जाए,  अब जो नई भर्तियां हो रही है, उसमें बहुत सी भर्तियां ऐसी है जिनमें पेंशन की व्यवस्था भी नहीं है । यह पेंशन की व्यवस्था थी और एक प्रकार से के सुरक्षा की भावना, जिसके कारण कोई भी व्यक्ति सरकारी दफ्तर में काम करना चाहता था। अब आप यह समझे कि सरकारों की पेंशन व्यवस्था तो हो गई खत्म, क्योंकि सरकार के पास पैसा नहीं है । परंतु इसके साथ ही सरकार नए-नए आयोगों को बिठाकर के सरकारी लोगों की तंख्वाह को बढ़ाई जा रही है, जो सरकारों के पेंशनभोगी व्यक्त उनको भी अधिक पेंशन मिल रही है।  अब सरकार के पास यह प्रश्न है कि यदि और भर्तियां हो जाए उन लोगों को तनख्वाह या पगार कैसे दी जाए ?

एक तरफ देश में पौने दो करोड़ और दो करोड़ के बीच में नहीं बच्चे पैदा हो रहे हैं आज के 20 वर्ष बाद रोजगार की तलाश से बाहर आएंगे, जब आज की सरकारों के पास अभी जिन लोगों की भर्ती हुई पड़ी है उनको भी तनख्वाह या पगार देने का धन नहीं है या उसकी व्यवस्था नहीं है तो आप समझे, कि और लोगों को नौकरियां कैसे देगी? यही सबसे बड़ा कारण है कि नई भर्तियों को नहीं किया जा रहा है।

तो क्या इस समाधान का कोई स्थाई हल नहीं है ? क्या देश में बेरोजगारी हमेशा बढ़ती ही रहेगी? जी नहीं, इसका समाधान है। इसका समाधान उस प्रकार से नहीं है, जिस प्रकार की व्यवस्था भारत के लोग समझ रहे हैं। कोई सरकार आप को बेरोजगारी भत्ता देने की बात करेगी कोई सरकार आप को नौकरी देने की बात करेगी, परंतु स्थिति यह है सरकार के पास नई नौकरियों को या पगार देने के लिए पैसा नहीं है तो अब आप सच समझ लीजिए कि इस लोगों को नौकरी नहीं दी जाएगी।

तब क्या होगा प्रश्नवाचक? आप यह समझ लीजिए पूरे विश्व में कम्युनिस्ट सरकारों को छोड़ कर के हर देश में नौकरी की व्यवस्था सबसे अधिक स्वरोजगार की व्यवस्था में है, छोटे छोटे उद्योगों द्वारा चलाए, और उन उपक्रमों में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध होता है। मेरे विचार से सरकारों को काम करना चाहिए ऐसी व्यवस्थाएं करें छोटे-छोटे उद्योग लगाने के लिए आगे बढ़े, और हर व्यक्ति स्वरोजगार के साथ साथ अपने साथ 8-10 लोगों को और काम दे केवल यही एकमात्र काम है जिसके बाद आपके स्वरोजगार या रोजगार की व्यवस्था हो पाएगी। यह समझना कि सरकार आपको नौकरियां देगी और नए नए पद, यह समझ लिया जाए कि ऐसा सरकार के बस में नहीं है। करना तो चाहती है परंतु करे कैसे? कुछ भी संभव नहीं है यदि आप से ही कहा जाए आप सरकारी नौकरी करें परंतु आप आधी तंखा ले ले तो क्या आप हां बोलेंगे। उत्तर नकारात्मक की रहेगा ।  

अब आप सरकार की परेशानी समझे, सरकार के पास भी, कुछ सीमित उपाय ही है। एक उपाय तो यह है कि सरकार बाकी लोगों के ऊपर कर लगाए। कर लगाते ही हर जगह हाय तौबा शुरू हो जाएगी क्योंकि किसी की एक जेब से कटकर पैसा दूसरे कीजिए में जा रहा है । और इससे भी अधिक दुखद व्यवस्था यह है कि जितना पैसा कर के रूप के रूप में दिया जा रहा है,   उस पैसे का सदुपयोग नहीं हो रहा।

आप देखे, भारत में दान देने की बहुत बड़ी व्यवस्था है जिसके कारण आप के मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे इत्यादि चलते हैं । कहीं पर कोई कमी नहीं होती । इसका अर्थ यह हुआ कि लोगों को धन देने में कोई आपत्ति नहीं है परंतु इस धन का सदुपयोग हो रहा है जब तक वह इसके लिए आश्वस्त नहीं होंगे, अपनी जेब से धन नहीं देंगे।

अब रही बात सरकार अपने उपक्रमों को अधिक फायदेमंद बनाएं और उनसे ही कोई धन एकत्रित करें। शिक्षा के क्षेत्र में होने के कारण मैं यह समझता हूं आज के दौर में निजी संस्थान,  विद्यालय, बहुत अधिक धन लेकर भी बच्चों की भीड़ अपनी तरफ आकर्षित कर पा रहे हैं। यह जानते हुए भी जो पढ़कर बच्चा निकलेगा रोजगार की पूर्ण व्यवस्था शायद नहीं है, हमारी शिक्षा पद्धति में। परंतु फिर भी जो पुराने अभिभावक है वह यह समझते हैं शिक्षा से मेरा बच्चा मुझसे बेहतर पद प्राप्त कर सकेगा । इस पूरे खेल में हो क्या रहा है, सारी निजी संस्थान, कोचिंग सेंटर, सारा धन बटोर रहे। सरकार के पास क्या विकल्प बचता है, कि जो सरकारी स्कूल है उनकी व्यवस्था इतनी बेहतर करती जाए कि वह निजी स्कूलों से बेहतर काम करने लगे ऐसा अभी दिल्ली के स्कूलों में देखने में आया है । यह बहुत अच्छी बात है इसमें भी आप सरकार की मजबूरी समझें, हमारे देश में जो शिक्षक है वही शिक्षा व्यवस्था चलाते हैं । ध्यान दीजिएगा स्कूल की जो इमारत है, कमरे हैं स्कूल की जो और व्यवस्थाएं हैं वह स्कूल को बेहतर नहीं बनाती बल्कि शिक्षक बेहतर बनाता है। अब जब अपने शिक्षक को लाते हैं आपकी उस में आरक्षण नीति आने की वजह से कई बार बहुत कम अंक प्राप्त किए लोगों को आप के विभाग में शिक्षक के तौर पर भर्ती कर देते हैं, जो आपकी मजबूरी है क्योंकि आरक्षण नीति में आपको चलना है । अब या तो आरक्षण की नीति हटे, जो आपकी राजनीतिक गलियारों के लिए ठीक नहीं है। हर बच्चे को अपनी श्रेष्ठता के ऊपर ही आप विद्यालय में स्थान दें और नए नए शिक्षक या उद्योग जगत में भी आप ऐसे ही व्यक्तियों का चयन करें जो कि श्रेष्ठ हो। पर यह संभव राजनैतिक कारणों से नहीं नहीं है ।

इसका क्या अर्थ निकला, किस सरकार के पास आज अपने नए उपक्रम खोलने की अपेक्षा लोगों को उद्योगिक उपक्रम खुले में सहायता देना मात्र विकल्प बचा है। आइए हम अपनी सरकारों के लिए इस व्यवस्था को मदद करें, सरकारों से मांग करें जगत के व्यक्तियों को विशेषकर लघु उद्योग क्योंकि वही उद्योग सबसे अधिक रोजगार देते हैं, और जो लगे हैं, उसको   आगे बढ़ने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराएं ।

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