कोरोना वाइरस के साथ साथ सभी वाइरस को समझ लें । हर तीसरे वर्ष नया आएगा

लगभग तीन माह से अधिक समय से आप कोरोना वायरस के विषय में सुनते आ रहे हैं इस विषय पर सबसे पहले समाचार दिसंबर के दूसरे सप्ताह में चीन से आया था लेकिन पूरा समाचार या एक बीमारी के रूप में इसका नाम आते आते लगभग एक माह और गुजर गया और लगभग जनवरी की 15 तारीख के आसपास यह एक बड़ी बीमारी के रूप में घोषित किया गया लेकिन तब भी यह चीन तक रुका हुआ था । उसके उपरांत 15 दिन और बीते या लगभग महीना भारत देश में भी कवायद शुरू की गयी । भारत में भी कोरोना वायरस आ सकता है साथ ही में विश्व के अन्य देशों में जैसे इटली में ऑस्ट्रेलिया में अमेरिका में इसकी पड़ताल होनी शुरू हो गई।

सबसे पहले तो समझे, यह वायरस क्या होता है हम लोग शुद्ध हिंदी की भाषा में रोगाणु कह सकती हैं इसका अर्थ सीधा सा यह है यह रोग को अपने साथ लाएगा इसके साथ ही अन्य शब्द bacteria आता है जिसका की अर्थ भी बीमारी फैलाने वाले कीटाणु या विषाणु के रूप में होता है. आइए अब दोनों में अंतर समझे, यह कहां से आता  है मानव शरीर के बाहर सक्रिय रूप में विद्यमान नहीं होता,  यद्यपि विद्यमान है जब भी हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करता है तो अपनी कुछ दिनों की अवधि के उपरांत समाप्त हो जाता है तब तक आपके शरीर में वायरस का प्रभाव नजर आता है और क्योंकि यह वायरस मानव शरीर में जाने के बाद ही रोग को उत्पन्न करता है इसको पहले से नहीं रोका जा सकता इसलिए वायरस के लिए कोई दवाई नहीं बन सकती ।

हम बात करते हैं बैक्टीरिया की, यह भी शरीर में रोग करने वाले जीवाणु हैं परंतु जब यह जीवाणु कम मात्रा में है तो आपके शरीर की प्रतिरोधक शक्ति स्वयं से मुकाबला करती है और यदि आप की प्रतिरोधक शक्ति क्षीण है आपको चिकित्सक बाहर से एंटीबीओटिक दवाई देकर उस बैक्टीरिया का अंत कर देता है । हालांकि अधिकांश समय यदि आप दवा न भी लें तो कुछ अधिक समय की उपरांत आप उस बीमारी से बाहर हो ही जाएंगे । इसी लिए  शायद एक और फ्लू जिसे आप खांसी जुकाम समझते हैं के बारे मे कहा जाता है कि यदि दवा लेंगे तो आप सात दिनों मे ठीक होंगे नहीं तो हफ्ते के बाद । क्योंकि बैक्टीरिया बाहर भी जिंदा है  इसकी रोकथाम करने के लिए या मारने के लिए दवाई का प्रयोग किया जा सकता है और इसके लिए दवाई बनती भी है, जिसे आप antibiotic के नाम से जानते हैं ।

प्रश्न है आता है कि पिछले 20 वर्षों में हमने कई प्रकार के वायरस सुने हैं तू क्या इसका अर्थ यह लगाया जाए की नई-नई वायरस किस प्रकृति में बन रहे हैं जो हमें रोग  दे राहे हैं . इनमें से कुछ वायरस का नाम आपके सामने लेता हूँ । लगभग 2001 में हमने anthrax  का नाम सुना परंतु यह बैक्टीरिया था 2002 वेस्ट नाइल वायरस, फिर  सार्स, बर्ड फ्लू, इबोला  इत्यादि  करते करते 2018 में जीका और 2020 में कोरोनावायरस का जन्म हुआ। वायरसों के साथ आपको कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए जब जब यह कोई वायरस बनता है यह हमेशा एक प्राकृतिक आपदा के रूप में दर्शाया जाता है इसकी गिनती बहुत बढ़ चढ़कर बताई जाती है लेकिन किसी भी वायरस में जिन लोगों की मृत्यु होती है उसका आंकड़ा 7% से कम है और उसमें से भी अधिकांश व्यक्ति 85 वर्ष से ऊपर की उम्र के पाए जाते हैं ।

85 वर्ष के ऊपर व्यक्ति की प्रतिरोधक शक्ति तो वैसे ही बहुत क्षीण हो चुकी होती है कोई भी बीमारी आसानी से लग जाती है और उसकी मृत्यु हो जाती है, दूसरी बात जब वायरस की कोई दवाई होती नहीं है तो वायरस की दवाइयां किस नाम से और कैसे लिखी जा रही है इसी के साथ एक बात और है वायरस की पहचान क्या है आज की तारीख में आपको बताया जाएगा देश में कितने कोरोना वायरस से पीड़ित हैं ? अब आप पूछिए कि कैसे पता चला तो उत्तर है मीडिया में समाचार मिला । समाचार पत्र में मिलेगा परंतु आप उनसे पूछे इसकी पुष्टि कैसे करें कोई भी परीक्षण पूर्ण रोप से किसी भी वाइरस की पुष्टि नहीं कर पाता है। परन्तु लोग आनन-फानन में डर कर मास्क खरीद कर और विभिन्न दवाइयों का प्रयोग करके अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।   सुरक्षित हो रही है यह जरूरी भी नहीं । यदि आप किसी भी वाइरस की दवा को विस्तार से पढ़ेंगे तो पाएंगे कि वह दवा मात्र वाइरस के असर को थोड़ा कम कर सकती है, जैसे ज्वार देर मे आए,  शरीर का दर्द थोड़ा कम हो जाए इत्यादि । परंतु पूर्ण रूप से निजाद दिला दे इसका प्रावधान नहीं है ।

अब यह भी सोचिए कि कहीं ऐसा तो नहीं की बीमारी के आने से पहले बीमारी की तथाकथित दवाई बना दी जाए और उसके बाद आरी करण के कारण यह बीमारी फैला दी गई यह बात सोचने पर विवश इसके लिए करती है अक्टूबर महीने की डेटॉल कंपनी के उत्पाद के ऊपर यह लिखा जाता है यह कोरोना वायरस से आपका बचाव कर सकती है परंतु कोरोना वायरस का जन्म लगभग डेढ़ महीने बाद होता है । 15 दिसंबर के आसपास क्या डिटॉल कंपनी जानती थी कि महीने बाद करोना वायरस आने वाला है तो हम उसकी दवाई पहले से बना दे । जितनी भी आप चिकित्सकों से मिलेंगे आयुर्वेद चाहे  होम्योपैथी के हों उन सब का एक ही कहना है वायरस से घबराने की आवश्यकता नहीं है, तो इतना डर कैसे फ़ेल रहा है ?

इसके साथ आप एक बात और समझे कोरोना वायरस के कितने संक्रमित क्योंकि गिनती सुनाई पढ़ती  है वह भी मेडिया के कारण ।

आइयी इसे आंकड़ों से समझें, 2010 से 2019 के बीच अमेरिका में 3,37,000 लोग फ्लू यानि समान्य सर्दी जुकाम से मारे गए हैं, यही आंकड़ा इसी अवधि में भारत में रहा है 11,030 लोग । अमेरिका जिसमें भारत से एक चौथाई जनसंख्या है, स्वास्थ्य और साफ सफाई की दृष्टि से भारत के कहीं बेहतर माना जाता वहाँ पर भारत से 30 गुणा अधिक मृत्यु इन रोगों से हुई है । कारण स्पष्ट है कि भारत में अधिक जनसंख्या के बाद, सफाई के कम ध्यान के बाद भी यहाँ की जलवायु और खान पान ऐसे वाइरस से स्वभावत: हमें बचा लेते हैं और गर्मी के मौसम के बाद तो वाइरस रह भी नहीं प

चलिये अब एक नज़र विश्व के आंकड़ों पर देखें तो :

13 मार्च,  दोपहर 12 बजे के अनुसार

कुल कोरोना मरीज 1,34,829

मृत्यु  4,984

रोगमुक्त हुए रोगी : 70,395

अभी रोगी : 59,450

सौम्य स्थिति में : 53,692

गंभीर रोगी : 5,758

अभी आपको कहाँ से भयावह स्थिति नज़र आ रहे है, जबकि सभी गंभीर रोगी 80 वर्ष से अधिक उम्र के हैं ।

ध्यान दीजिएगा चीन की अर्थव्यवस्था लगभग 65% निर्यात पट टिकी है, इस बीमारी से  चीन की आर्थिक कमर टूट जाए सभी महाशक्ति यह चाहती हैं चाहे वह अमेरिका हो यूरोपीय ।  कहीं ऐसा तो नहीं इस बीमारी का बहाना करके चीन की आर्थिक महाशक्ति को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है । यह तो सत्य है के जितने भी इस प्रकार की बीमारियों को बनाकर दिखाया जाता है सबसे बड़ा फायदा दवा कंपनियों को होता है  कंपनियां नई-नई दवाई निकालती है और उनको महंगे दामों पर बीच बीच की है इतिहास में यहां तक हुआ है अमेरिकी सरकार के मंत्रियों की बनाई हुई से बनी दवाई स्वाइन फ्लू के लिए अमेरिकी सरकार ने खरीदी है

तारिक जैसलमेर जो कि  WHO  के अधिकारी हैं उन्होंने कुछ घंटों पहले यह ऐलान कर दिया है कुछ हफ्तों में वायरस की दवाई बाहर आएंगे. इस समाचार का यह परिणाम होगा सब लोग पूरा विश्व कोरोना वाइरस की दवाइयां अमेरिका से खरीद लेगा और अमेरिका की दवा कंपनियां बनाने में लग जाए कुछ दिनों में आपके सामने यह सच्चाई खुल कर बाहर आ जाएगी आराम से देख सके

मेरा मात्र इतना कहना है दवा कंपनियों के फरेब को समझ ले अपने शरीर को स्वस्थ बनाएं प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाएं. यह भी तो सच है आज का खान पान के कारण हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्तियां और बीमारियां बढ़ने लगी और हल्की सी बीमारी जिसको हमारा शरीर रोक सकता है । परन्तु इसके साथ ही बाजारीकरण के प्रभाव से  बाहर आयें

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