
इस अंक मे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव :
इसकी समीक्षा में हमें अब यह समझने होगा कि उद्दयोग दोबारा फरवरी माह की स्थिति में कब और कैसे आएगा । परंतु आइये कुछ विसंगतियों पर पहले विचार करें । जब देश मे लॉक डाउन हे तो सभी मुख्य औद्योगिक प्रतिष्ठान बन्द हो गए । जब यह प्रतिष्ठान बन्द हो गए तो कौन सा उद्दयोग लाभ कर रहा है और कौन सा हानि पर, इसकी पहचान नहीं हो सकती । जोकि सैद्धांतिक रूप से कंपनियों के सट्टा बाज़ार का आधार है । अब जब औद्योगिक संस्थान बन्द हैं तो फिर सट्टा बाज़ार क्यों खुल रहा है ? और यदि खुल भी रहा है तो सट्टा बाज़ार में इतना उतार चड़ाव कैसे ? स्पष्ट है कि यह सब औद्योगिक घरानो और पूँजीपतियों की साँठ गांठ है । इस पूरे सट्टा बाज़ार के प्रकरण के उतार चड़ाव मे एक अनुमान से 46 लाख करोड़ आम भारतीय निवेशक का लूट गया । कहीं पर कोई आह भी नहीं हुई । यह इतना बड़ा आंकड़ा है, इसे आप इस बात से समझे कि भारत की केंद्र सरकार का कुल बजट मे प्राप्ति 23 लाख करोड़ से कम है । अर्थात देश दो वर्षों में कर से जितना धन वसूलेगा उससे दोगुना देश ने कुल दो महीने में सट्टा बाज़ार से उड़वा दिया । स्पष्ट है यह पैसा विदेशियों का ही होगा । भारतीय आम निवेशक तो उस समय अपनी रोजी रोटी कि चिंता कर रहा था ।
इससे भी बड़ी बात है जब निर्यात और आयात बन्द है तो विदेशों से व्यापार नहीं होता । जब व्यापार नहीं हो रहा तो आपको व्यापार घाटा भी नहीं होगा । और जब व्यापार घाटा नहीं तो डॉलर और रुपये की विनिमय दर में बदलाव कैसे होगा । परन्तु आपकी जानकारी में रुपये मे 6.5% का अवमूल्यन हो चुका है । चीन की मुद्रा युआन मे भी 3.5% का अवमूल्यन दर्ज हुआ है । यदि हमने वैश्विक महाशक्तियों के कहने से लॉक डाउन किया तो आज उन उन शक्तियों को मेरे देश को 20 मार्च वाला विनिमय दर दिलवानी चाहिए । परन्तु निर्धन देशों का दोहन हर बड़े देश का काम है और यहाँ भी वह यही कर रहे हैं । भारत देश का बना माल 37% निर्यात होता है वहीं पर चीन का 60% से अधिक माल निर्यात होता है ।
करोना वाइरस की बीमारी मे तो आज तक यही समझ आया कि इस रोग की कोई दवाई विकसित नहीं है, तो इसका अर्थ यह हुआ कि आप को अपनी रोग प्रतिरोधन शक्ति को ही बढ़ाना है । बस जी सभी विज्ञापन दाताओं ने एक शब्द सीख लिया Immunity और अब दूध, भोजन इत्यादि रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले और कपड़े, वातानुकूलित संयंत्र वाइरस से बचाव करने वाले बन गए । आप इसमें इस बात पर भी ध्यान दें कि करोना की दस्तक आई लगभग दिसंबर में और Dettol कंपनी ने अपने एक लीटर की शीशी पर उसके करोना से बचाव के विषय में लिख दिया । जब यह बात उठाई गयी तो कंपनी ने आधिकारिक तौर पर बताया कि यह COVID 19 के लिए नहीं परंतु अन्य करोना वाइरस के लिए उपयोगी है । परंतु प्रश्न है कि यह 2019 में ही क्यों लिखा गया ? उनका कहना है कि कुछ वाइरस जो इस प्रकार के है। उन पर यह कारगर पायी गयी । अब प्रश्न है कि इस प्रकार से वाइरस SARS 2004 मे आया आया और MERS Cov 2012 में आया तो इसको लिखने का वर्ष 2019 में क्यों चुना गया ?
अब अंत मे यह और समझें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश (IMF) ने समस्त देशों का सकाल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर कर दी है । फिर भी चीन की वृद्धि दर 6% बताई है । अब जिस देश ने कोई भी लॉक डाउन नहीं किया अर्थात जापान, उसकी वृद्धि दर ऋणात्मक (-0.70) बताई है । यह सब आंकड़े 2019 के बताए गए हैं इसके साथ ही जापान के विषय में यह कहा गया कि जापान की नाज़ुक आर्थिक अर्थव्यवस्था यह झटका नहीं सह पाएगी । आपको कुछ अटपटा नहीं लगता ?