
अब आइए बात करें विश्व स्वास्थ्य संगठन की, इस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक है डॉक्टर टेड्रोज अधोनाम, जिन्होने 2017 में यह कार्यभार संभाला । उस समय विश्व के नेताओं को अपने पक्ष में करने के लिए वह चीन गए और चीन ने उन्हे इस पद को दिलवाने मे विशेष भूमिका निभाई । शायद उस ऋण को वह आज चुकाने की कोशिश कर रहे हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन को ताइवान के चिकित्सकों ने 22 जनवरी को इस आशंका से अवगत कराया कि चीन में एक नयी महामारी जन्म ले रही है । फलस्वरूप महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोज ने चीन देश की यात्रा की और आ कर ताइवान के चिकित्सकों की बात को अनदेखा कर दिया और कहा कि चीन इस बीमारी को बहुत अच्छे प्रकार से संभाल रहा है । इसके साथ ही 30 जनवरी तक चीन के हर कदम को सराहा कि चीन ने कैसे इस रोग को अपने नियंत्रण मे रख लिया है ।
उसी रोग को 11 मार्च को महानिदेशक महोदय ने महामारी का नाम दे दिया । जबकि चीन मे 2 मार्च के बाद से 11 मार्च तक एक भी रोगी नहीं पाया गया । अब यह भी जानिए कि डॉक्टर टेड्रोज इथियोपिया नामक देश के है उस देश के साथ लगती भौगोलिक सीमाएं कोंगों, सूडान और केन्या से मिलती हैं । अर्थात इथियोपिया और कोंगों, सूडान और केन्या देशों मे जलवायु, खान पान एवं DNA एक ही प्रकार का है । परंतु यह वाइरस महानिदेशक के देश में कुछ विशेष नहीं कर पाया या शायद महानिदेशक महोदय ने उस वहाँ पर काम करने से माना कर दिया ।
आइये इसे आंकड़ों से समझे । इथियोपिया की 12 करोड़ की जनसंख्या मे इस रोग से प्रभावित रोगियों की संख्या है 386 रोगी है, वहीं कोंगों की मात्र 55 लाख की जनसंख्या में 420 रोगी हैं और इसके आसपास देखें तो केन्या की 5.5 करोड़ की जनसंख्या में 1131 रोगी हैं और सूडान की 4.3 करोड़ की जनसंख्या में 3378 रोगी है । स्पष्ट लगता है की कोरोना को इथियोपिया देश में शायद वीसा ही नहीं दिया अधिकारियों नें । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रोग से बचने के लिए उपाय दिया : सामाजिक दूरी और lockdown। अब आप समझिए कि पहले 1 मीटर की दूरी सामाजिक दूरी बनी उसके बाद दो मीटर बन गयी । बीच मे एक समाचार और आया कि यह सामाजिक दूरी लगभग 12 फुट या 4 मीटर की होनी चाहिए । नीचे दिये गए चित्र को विकिपीडिया से लिया है जो कि 23 जनवरी को lockdown के बाद वुहान शहर में लोगों की खरीददारी करते हुए है । आप इनमें सामाजिक दूरी को देख सकते हैं ।
इसके साथ ही पूरे विश्व मे सेनेटाइज़ करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी । हमारे देश ने भी यही करना शुरू कर दिया। अब यह नया शब्द तो सीख लिया पर इसमे क्या करना होता है ? यह किसी ने सोचा नहीं । कोई मच्छर मार दवाई छिड़कने लगे, कहीं पर लोग नीम की पत्ति और एलोवेरा के घोल से करने लगे, कहीं पर तो हाइपोक्लोराइड के घोल से किया जाने लगा और किसी किसी स्थान पर ब्लीचिंग पाउडर का भी प्रयोग किया गया । स्वास्थ्य मंत्रालय ने अन्त मे एक निर्देशिका भी जारी की, जिसके अनुसार यह सेनेटाइज़ की प्रक्रिया मात्र वाह्य सतह पर करना चाहिए । कहीं पर भी इसके प्रमाण नहीं है कि इस प्रक्रिया से वाइरस खत्म हो जाएगा । लोगों ने हाइपोक्लोराइड के घोल का प्रयोग तक किया । उस निर्देशिका में स्वास्थ्य मंत्रालय ने व्यक्तिगत रूप से सेनेटाइज़ करने को माना किया, यहाँ तक कहा कि यदि किसी कारण आप हाइपोक्लोराइड या क्लोरिन इत्यादि को सांस मे ले लेते हैं तो व्यक्ति को गले मे खराश, सांस लेने मे तकलीफ और श्वसन क्रिया मे कठिनता का अनुभव हो सकता है । यही कोरोना के लक्षण भी हैं ।
https://slate.com/human-interest/2020/02/handwashing-20-seconds-best-practices-advice.html
कुछ समय बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 27अप्रैल को कहा कि किसी भी निस्संक्रमांक (disinfectant) के प्रयोग से आप COVID 19 से नहीं बच सकते । मुझे लगता है कि ज़्यादा जल्दी बता दिया । उसके कुछ समय के बाद इसी संगठन ने कहा कि हमने कभी भी lockdown के लिए नहीं कहा । और यह समाचार तब आया जब डेन्मार्क इत्यादि यूरोप के कुछ देशों ने lockdown हटाने का निर्णय लिया, असली बात तो डेन्मार्क के lockdown हटाने के बाद सामने आई, जब इसके बाद भी उस देश में रोगियों की वृद्धि दर मे गिरावट ही देखी गयी । इससे पहले जर्मनी ने भी अपने विध्यालय खोलने का निर्णय ले लिए था ।
इसके साथ ही बात कही गयी कि कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ साफ कीजिये । जब कि किसी भी वैज्ञानिक या चिकित्सक के शोध में इस 20 सेकंड का औचित्य नहीं बताया । इसके साथ ही तथाकथित सेनाटाइज़र के अधिक उपयोग से आपकी त्वचा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । इतनी अधिक मात्र मे इन रसायन के उपयोग में शायद करोना तो रुक जाये पर अनेक प्रकार के रोग आपके त्वचा और श्वास यंत्र पर हो सकता है ।
क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन के विचार पल पल बादल नहीं रहे हैं ? स्पष्ट है या तो इस संगठन की विश्वसनीयता पर संदेह करना चाहिए या इसकी नीयत पर !
अगले अंक मे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव