आतंक से बचने का क्या युद्ध और हमले के अतिरिक्त कोई सरल उपाय है ?? जी बिलकुल! आइये समझें

अभी हाल मे ही पुलवामा मे आतंकवादी हमला हुआ है । देश फिर से एक हो कर प्रधान मंत्री और सरकार से पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने की बात कर रहा है । पूरे देश की जनता ने whatsapp और अन्य social मीडिया पर देश के समर्थन मेम बहुत कुछ कहा । फिर से अक्षय कुमार जी द्वारा समर्थित भारत के वीर app पर दान देने वालों का तांता लग गया । किसी नें मृतुंजय मंत्र के जाप की एक श्रंखला के लिए आव्हान किया । कुछ व्यक्तियों नें आपकी DP बदलने का भी आग्रह किया और सच कहिए तो लोग इस समय देश के लिए गंभीर विचार करते नज़र आए । कुछ लोगों का विचार यह भी रहा कि कश्मीर पर देश केलोगों को पर्यटन के लिए जानना छोड़ देना चाइए क्योंकि यदि धन नहीं मिलेगा तो इस प्रकार की आतंकी घटनाएँ समाप्त हो जाएंगी ।

मोदी जी भारत आपके साथ है । टैक्स बढ़ा दो राशन कम कर दो पर पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दो । पाक अधिकृत कश्मीर पर अपना अधिकार फिर से लीजिये । धारा 370 को हटा दीजिये । पूरे देश एक स्वर में आगे बढ़ा । और यही इस देश की विरासत भी है कि सामान्य लोग किसी भी दल के समर्थन में हों ऐसे समय पर देश के प्रधान के साथ खड़े हैं । परंतु हम ठंडे दिमाग से एक बात समझने की आवश्यकता भी है कि इस आतंकवाद का स्थायी हल क्या है ! उपरोक्त बताए गए हल कुछ समय के लिए आतंकवादी घटनाओं को रोक तो सकते हैं परंतु जड़ से खत्म करने के लिए इसस्के मूल पर विचार आवश्यक है ।

आइये समझें कि आज आतंकवादी मुख्यत: बनाया कैसे जा रहा है ? कश्मीर के युवाओं से यह कहा जाता  है कि भारतीय लोगों ने सेना के माध्यम से आप लोगों पर अवैध कब्जा किया है । और आप सबको उस स्वतन्त्रता या आज़ादी के लिए लड़ना है । उसे ही धर्म से जोड़ कर दिखा दिया जाता है कि यही आपके लिए बताया गया  है ” धर्म पर चलो और इन सब का खात्मा करो “।  अब इसी युवा को इसके परिवार वाले भी अल्लाह या खुदा के नाम पर यही सिखाते है और अपनी भारतीयों द्वारा की गयी दुर्दशा बताते रहते हैं ।   बच्चा इसी माहौल मे बड़ा होता है और अन्त मे उसको जीवन का यही अंतिम लक्ष्य लगता है । मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि इस युवा को मात्र भय दिखा कर शायद बदलना अब कठिन होगा । एक युवा जो जीवन के कई वर्षों से झोंपड़ी मे रहता हो उसे आप  आलीशान महल मे भी रख देंगे तो वह भी घुटन महसूस करेगा ।

इसका तो सीधा सा उत्तर है कि वहाँ के युवाओं को यह समझा दिया जाए कि कश्मीर पर जितना भारत का अधिकार है उतना ही कश्मीर के व्यक्तियों का भी है । कितना सरल समाधान है परन्तु यह होगा कैसे ? आपको याद होगा कि 1984 के समय मे यही भावना पंजाब मे घर कर गई थी । उस भावना को हटा कर अपने भारत की मुख्य धारा के साथ लाने में दो तरफा खेल खेला गया । एक तरफ उन्हे समझा दिया गया कि वे भारत के ही हैं और भारत भी उनके साथ है । दूसरे सैनिक कार्यवाही के द्वारा इस भावना को समाप्त किया गया । पंजाब का आतंक जिन्होने देखा है उन्हे पता ही उस समय पर आम पंजाबी देश के साथ ही था केवल कुछ तबका ही था जो पाकिस्तान के साथ मिल गया था । परन्तु एक बहुत बड़ा अंतर था कि पंजाब एक सम्पन्न प्रदेश था वहाँ पर खुशहाली थी और इसी कारण वहाँ पर विदेशी ताकतों ने भावुकता के नाम पर ही युवाओं को बहकाया था ।

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लेकिन जो कश्मीर नामक प्रदेश है वहाँ पर कृषि के नाम पर, धन है या तो केसर की खेती से और या फिर सेब की खेती से । और उसके बाद सबसे अधिक आय वहाँ पर पर्यटन से है । जम्मू और कश्मीर राज्य में लगभग 300 करोड़ का पर्यटन का कारोबार है । जबकि यहाँ की जनसंख्या 1.40 करोड़ की है । इस राज्य का स्थान जो सबसे अधिक आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देता है वह है श्रीनगर । मात्र श्रीनगर की जनसंख्या 16 लाख है और वही पर पर्यटन उद्दयोग में ही लगभग 1.2 लाख प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काम करते हैं । पर्यटन से प्रदेश की आर्थिक विकास पर राजकीय स्तर पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता क्यूंकी उसे केंद्र सरकार से मदद मिल जाती है । परन्तु व्यक्तिगत रूप से लोगों की आय का बहुत बड़ा स्त्रोत है । 1988 मे पंजाब के आतंकवाद के बाद ही पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद पर काम शुरू किया । 1988 मे जहां 7 लाख यात्री श्रीनगर वहीं 1989 में यह संख्या घट कर 2 लाख हो गयी । 2004 तक यह स्थिति 4 लाख पहुँच गयी और वहाँ से निरंतर बढ़ती रही । 2016 में यह संख्या 12 लाख को पार कर गयी । ध्यान रहे यह मात्र श्रीनगर की पर्यटन संख्या है । माता वैष्णो  देवी के दरबार  मे तो 1 करोड़ से अधिक भक्त जन प्रति वर्ष आते हैं ।  इसी प्रकार अमरनाथ के यात्री इसमे नहीं गिने गए है ।

यह तो आप मानेंगे ही कि बिना स्थानीय लोगों के मदद के इस रकार की घटनाओं को नहीं किया जाता है । अब महत्वपूर्ण बात समझने की है : यदि यहाँ पर्यटना बढ़ता है तो कश्मीरी का व्यक्तिगत आर्थिक विकास होता है । ऐसा होते ही वह धन पर कुछ मजबूत हो जाता है । तो धन के कारण बहकावे में आने में कमी आती है । इसलिए पाकिस्तान का वहाँ के लोगों को बहकाना कठिन हो जाता है । अब जब भी पर्यटन का उद्दयोग कमी पर आता है तो पाकिस्तान उस का भरपूर लाभ उठाता है । उन लोगों को फिर पाकिस्तान मदद का हाथ बढ़ा कर अपने आतंकवाद मे सहयोग करवाता है ।  इसी कारण यदि वहाँ का पर्यटन बढ़ता है तो पाकिस्तान या ISI इसे नापसंद करते हैं । स्थानीय लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए ही पाकिस्तान जाली नोट ला कर बांटता है । आपको नोटबंदी के समय पत्थरबाज़ी की घटनाओं मे आई कमी तो याद ही होगी ।

अब एक कदम और आगे चल कर आपका पड़ोसी देश वहाँ के युवाओं को डॉक्टर या इंजीनियर बनाने के लिए अपने देश के विश्व विध्यालय में विशेष स्थान और छात्रवृत्ति देने का प्रावधान करता है । युवा वहाँ पर पूरे भारतीय नियमों के अनुसार, प्रपत्र बनवा कर पढ़ने के लिए जाते है और वहाँ से 4 या 5 वर्षों में पूरी तरह से उनकी मानसिक सोच के साथ आत्मघाती दस्ते के लिए तयार हो जाता है । इससीलिए जब भी कश्मीर में शिक्षा संस्थान ठीक प्रकार चलते हैं तो  वहाँ पर उसे किसी न किसी रूप में बंद करवाने का प्रयास भी किया जाता है । यह इस समय देश की बड़ी चुनौती है । ध्यान दीजिये जो कोई भी वहाँ पर प्रगातिशील विचारों वाला युवा है वह अधिक शिक्षा प्राप्त करना चाहता है । उस एक की सोच से समाज में बदलाव की संभावनाओं को शैशव काल में ही रोक दिया जाता है । शिक्षा के क्षेत्र में कोई  भी बदलाव कर के आप हर देश को और समाज को बदल सकते हैं। यही काम मैकाले ने भी किया है जिसकी चोट से आप न तो उबर सके है और दुर्भाग्य से उससे होने वाली हानी हमारे देश के पुरोधा नहीं सोच पा रहे है ।

अब आप देखिये बुद्धिमान का आपने पाकिस्तान बुलवा कर हृदय परिवर्तन करवा दिया और उनको धर्म की नाम पर तथाकथित जिहाद के लिए तयार कर लिए । भारत देश में उनके परिवार के लोग है जो जाने अंजाने उन युवकों को अभी भी अपने परिवार का हिस्सा समझ कर उनकी मदद करते हैं । और वहीं पर स्थानीय लोगों से समर्थन के लिए उनमें नोट बाँट दिये और वह आतंकी आकाओं के साथ हो गए ।

अब समझें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा कि पाकिस्तान नामक देश जिसके पास अपने खाने को रोटी भी नहीं है वह इतना धन कहाँ से लाता  है । क्यूंकी भारतीय पत्थरबाज़ों को देने के लिए, अपने लिए सुरक्षित पनाह लेने के लिए, सबको अपने साथ रखने के लिए, हथियार खरीदने के लिए धन की आवश्यकता रहती है । इस धन को देती हैं परोक्ष रूप से हथियार बनाने वाले उद्दयोग, क्यूंकी उनका तो यह व्यापार है ही । हर आतंकवाद की घटना के बाद पूरे  विश्व में से उस घटना की निन्दा  के प्रस्ताव आ जाएंगे । पाकिस्तान को समझना चाहिए इससे किसी का भला नही होगा । पाकिस्तान को अब भुगतना होगा । इत्यादि बड़े बड़े बयान आएंगे पर क्या किसी भी हथियार बनाने वाले देश ने यह कहा है कि हम  पाकिस्तान को हथियार नहीं देंगे ।  क्यूंकी यदि वह कहेंगे तो अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारेंगे । उनका तो यह व्यवसाय है ।

प्रश्न है कि क्या समाधान है इस आतंकवाद का !  कुछ कदम हम उठाएँ और कुछ कदम सरकार उठाए । एक कदम तो बहुत आवश्यक है पूरे भारत केलिए कि भारतीय लोगों को गौरवान्वित करता हुआ पाठ्यक्रम बनाइये और वह सबको पढ़वाइए । यह अंग्रेजों का लिखा हुआ अपभ्रंश इतिहास और भूगोल इत्यादि भरत्ब देश के सपूतों में देश प्रेम की भावना जगाने में असमर्थ है । यह तो हुआ बौद्धिक रूप से आतंकवाद से हट कर देश प्रेम से ओतप्रोत युवा बनाने का प्रयास । यह तो हुआ एक दीर्घगामी प्रयास परन्तु तुरंत प्रभाव से दो कामों की आवश्यकता है कि तो आप प्रदेश के युवा को व्यस्त कर दें । किसी भी प्रकार के कारखानों में उन्हे काम पर लगवा दें जिसके कारण वह 9 से 5 के कामों में व्यस्त हो जाएँ और फिर जब वह कुछ धन ले कर सायं को घर आएगा तो अपने घर परिवार में व्यस्त हो जाएगा और कुछ हद तक वह  इन आतंकों के आकाओं से दूर ही हो जाएगा ।

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अब जो युवा सरहद पार करके पाकिस्तान में प्रशिक्षण प्राप्त करके आते हैं । उनको समझाना या वहाँ जाने से रोकने से अधिक महत्वपूर्ण और सरल है यहाँ पर उन के मित्र पत्थरबाज़ों को रोकने का काम । और यह काम प्रशासन सरलता से कर भी सकता है । ऐसे कुछ काम सरकार ने जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दे कर किए भी हैं । उदाहरण के लिए किसी भी बाहरी राज्य के prepaid sim को इस राज्य में नहीं चलाया जा सकता । अब जो भी सिम वहाँ पर चलेगा वह या तो जम्मू और कश्मीर राज्य के वासी का सिम होगा और यदि आप किसी दूसरे प्रदेश से आए आए हैं तो वहाँ का postpaid सिम होगा । इसी प्रकार का कुछ काम किया जाये कि अवैध धन उन पत्थर बाजों और उनके सहयोगियों के लिए उपलब्ध ही न हो ! कैसे किया जाएगा यह सब ।

इसी की राह पर चल कर यदि राज्य में बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया जाये तो पत्थरबाज़ों को अधिक धन नहीं मिल पाएगा । जिससे वह इस काम में कम से कम धन के लिए प्रेरित नहीं होंगे । और इसके लिए प्राशासन को मात्र इतना करना है कि बैंक को निर्देश दे दीजिये और जो भी 500 या 2000 का नोट दे उसका नाम पता और खाते में उसकी जानकारी रख ली जाए । एक प्रकार से बड़े नोट वहाँ पर प्रतिबंधित हो जाएँ । अब छोटे नोट तो जाली बनाने में खर्चा बहुत आएगा इसलिए इसके बनने की संभावना लगभग नगण्य हो जाएगी । अधिक से अधिक digital currency को बढ़ावा दे दिया जाये । आप शायद यह समझे कि ऐसा कैसे ? भारत के एक ही राज्य में ऐसे कैसे होगा ? चलिये कानून में बदलाव करके संभव बना लीजिये । जिन लोगों को यह असंभव लगे उनको जान कर आश्चर्य होगा कि अकोदरा नामक गुजरात का गाँव पूर्णतया digital currency का गाँव बन चुका है कई वर्ष पहले ।

 

यही तो एक बिन्दु है अर्थक्रांति के प्रावधानों का । आप समझ सकते है कि मात्र एक प्रावधान से आतंक के आकाओं कि कमर तोड़ सकते हैं । धन के अभाव में न तो पत्थर बाजों को पैसा मिलेगा और न ही वह आगे आएंगे । आप सोच रहें होंगे कि इतनी बड़ी सुरक्षा समस्या का क्या यह हल हो सकता है ?? जी हाँ पुराने युद्ध करके दुश्मन को जीतने के स्थान पर कूटनीतिज्ञ रास्ता आपनाएं । यदि आतंक के आकाओं के बैंक खातों को सील करके अमेरिका जैसा देश अपने यहाँ आतंकी घटनाओं में रोकसकता है तो भारत भी यह कर सकता है । समस्त विकसित देशों में आप देखें अमेरिका 100 डॉलर, 100 यूरो, और ब्रिटेन 50 पाउंड से अधिक की मुद्रा बनाते ही नहीं । आइस अनहीन कि उनके यहाँ आतंकवादी घटनाएँ नहीं हुईं हैं पर उनकी संख्या भारत से कहीं कम है । सच जानिए यही कारण है ।

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