देश की उन सभी महिलाओं को समर्पित जो women liberation या महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती हैं । भारत मे यह शब्द कहाँ से आया और क्यों आया यह जानने के लिए हमें थोड़ा इतिहास जानने की ज़रूरत होगी । यह देश जो शक्ति के लिए दुर्गा माता, धन के लिए लक्ष्मी माता और विद्दा के लिए सरस्वती माता की आराधना करता है । जिस देश का स्वतन्त्रता संग्राम भारत माता के लिए लड़ा गया, जिस देश में वन्दे मात्रम को राष्ट्रीय गान समझा गया उस देश मे महिला क्या कमजोर है ?
जिस देश मे कहा गया “यत्र नार्यस्ते पूजयते रमन्ते तत्र देवता” आज भी भारत के कई मंदिरों मे पत्नी के साथ ही प्रवेश संभव है। जिस देश में यज्ञ मे यजमान बनने के लिए पत्नी को साथ बैठना पड़ता है । उस देश में नारी अशक्त कहाँ से हो गयी। आपने ठीक समझा यह देश महिलाओं को कभी भी अशक्त या असहाय नहीं मानता तो यह विचार कहाँ से आया ।
इस सारे फसाद की जड़ है अँग्रेजी सभ्यता जिसने हमें 200 वर्षों तक गुलाम बनाया । यूरोप और अमेरिका के दार्शनिक विचार हमें जानने पड़ेंगे । उनके तथाकथित महान दार्शनिक PLATO के अनुसार नारी में आत्मा नहीं होती । यह कहा जाता है कि EUROPEAN CIVILIZATION IS FOOT NOTE OF PLATO। उसके बाद RUSO नमक दार्शनिक जो अपने आप को PLATO का शिष्य कहता है उसने भी इसी परम्परा को बढ़ाया। PLATO के अनुसार नारी मात्र कुर्सी मेज कि तरह घर मे रखने के लिए जब दिल भर जाये दूसरी ले आइये । विवाह की परम्परा वहाँ (EUROPE) में सदियों नहीं रही। यदि किसी स्त्री से संतान हो जाए तो उसको पहले पति या तथाकथित पुरुष जो उसका पिता ही पहले स्पर्श कर सकता । स्त्री को यह अधिकार नहीं है । PLATO के अपना खुद का चौथा पुत्र क्योंकि स्त्री ने पहले उसका स्पर्श किया था बाहर सड़क पर रख दिया था और कुत्ता उसका पुत्र खा गया था । जी हाँ यही सत्य है। सन्तान होने के बाद उसे घर पर रखने की परम्परा भी नहीं रही क्योंकि PLATO का मानना था कि पुरुष और स्त्री के आनंद मे सन्तान बाधा होती है इसीलिए उसे अपने साथ मत रखो। यदि उस सन्तान को घर पर रखना भी होतो उसका अधिकार पुरुष को ही है । यह तो रही पुरानी बातें जिंका प्रमाण उसकी पुस्तक REPUBLIC और LAWS में है । सातवीं शताब्दी तक औरत को मनुष्य का दर्जा नहीं था तब 41/40 वोटों की बहुलता के बाद EUROPE मे नारी को इंसान माना गया। यह वहाँ पर चले HUMAN RIGHTS के तहत हुआ । यह HUMAN RIGHT शब्द भी उसी सभ्यता की देन है। चलिये आपको लगे कि शायद यह कटुता पूर्ण सत्य है अब आजकल यानि इस सदी कि बात करते हैं।
अमेरिका नमक देश जिसकी हम सब तारीफ करते है लगभग 1778 मे आज़ाद हो कर लोकतन्त्र बन गया परंतु आपकी जानकारी के लिए महिलाओं को वोट देने का अधिकार 1926 मे प्राप्त हुआ यानि लोकतन्त्र की बहाली के 148 वर्षों के बाद । इसी प्रकार ब्रिटेन जो संकड़ों वर्षो का लोकतन्त्र है । उसमे महिलाओं का वोट का अधिकार मिला 1924 में लगभग 800 वर्षों के लोकतन्त्र के बाद । फ्रांस में 1946 और जर्मनी मे 1945 में वोटिंग का अधिकार मिला । इन देशों को महिला सशक्तिकरण की शायद आवश्यकता थी यह भारत मे कहाँ से आई ? क्या आप जानते हैं SWITZERLAND मे महिलाओं को यह वोट का अधिकार कब मिला ? आप शायद सोच नहीं सकते उससे पहले भारत में महिला प्रधान मंत्री बन चुकी थी । इन्दिरा गांधी भारत की महिला प्रधान मंत्री बनी 1966 में जबकि SWISS महिलाओं को वोट का अधिकार मिला 1972 में । क्या हम अपने देश को और विश्व के इतिहास को जानते हैं मेरा दावा है की 90% से अधिक भारतीय लोग अपने देश के बारे मे वही जानते हैं जो अंग्रेज़ो ने कह दिया क्योंकि पाठयक्रम मे देश के गौरव की कोई बात हमें पढ़ाई नहीं जाती। दूसरे फैशन चल गया है कि किसी भी सभा में कोई अँग्रेजी वेषभूषा में आकार अपने देश के प्रति अपमानजनक शब्द कह दे औए अमेरिका और इंग्लंड के बारे में प्रशंसात्मक शब्द कह दे वह महान बुद्धिमान हम मान लेते हैं और कहीं अँग्रेजी मे भारत और भारतवासियों को गाली दे दे तो बात ही क्या ?
सभी महिलाओं से मेरा अनुरोध है इस लेख कि वो बातें जो आपको बताने लायक ठीक लगें सबको बताएं जिससे हमारा देश नारियों को वही सन्मान दे जो शायद अँग्रेजी सभ्यता के कारण हम नहीं दे पारहे हैं