आज देश मे स्वास्थ्य की समस्या बढ़ती जा रही है । कहीं भूल से कोई स्वस्थ व्यक्ति आपको मिलेगा । अधिकांश लोग किसी न किसी प्रकार की बीमारी से ग्रसित हैं । इसमे अचरज यह यह है की बीमारी के कारण पर सब चुप्प हैं उसे जीवन शैली या पद्दती की बीमारी बताते हैं । जिसे आप समान्य भाषा मे life style disease के नाम स जानते हैं । इसमे उच्च रक्त चाप, मोटापा, हृदय की बीमारियाँ, मधुमेह से लेकर कैंसर तक आ जाता है । अब सीधा सा यह प्रश्न है की मात्र 30 40 वर्षों मेम ऐसा क्या घट गया की लोगों को इन व्याधियों ने घेर लिया।
सभी प्रकार की चिकित्सा सेवाएँ आपको इन बीमारियों केलिए रोज़ नई दवाइयाँ बना कर दे रहे हैं । इसी कारण से आज चिकित्सा बीमा का व्यापार फल फूल रहा है । इन इलाजों का खर्चा कितना होगा इसका आप अनुमान नहीं लगा सकते, कारण है की रोज़ नए अनुसंधान आपके सामने परोसे जा रहे है । अब हम “सब जान है तो जहान है’ के सिद्धान्त के अनुसार काम करते हुए नित नई बीमारियों से जूझने को तयार जो रहे हैं ।
आप ध्यान दें की समस्त चिकित्सकों से जब आप इसका कारण पूछेंगे तो इसका उत्तर आपके क्षेत्र से बाहर होगा यानि उसके लिए आप कुछ नहीं कर सकते । जैसे प्रदूषण, दूषित जल, जीवन मे काम का तनाव, रिश्तों का तनाव इत्यादि । जिस बात पर आपका ध्यान कम जाता है या नहीं जाता वह है की हमारा अन्न बहुत दूषित हो चुका है । आज रसायन यानि अप्राकृतिक विधि से तैयार खाद इत्यादि इसके मुख्य कारण हैं । पिछले 30 – 40 वर्षों मे हमारी तथाकथित कृषि की उन्नति का दुष्प्रभाव हुआ है की हमारा भोजन दूषित हुआ है । यह भी माना कि प्रदूषण, तनाव और शहरी जीवन के कारण जीवन शैली आज स्वास्थ्यवर्धक नहीं रही है । परनृ हर प्रकार की मानसिक और शारीरिक व्याधि से लड़ने के लिए शरीर में प्रकृति नें संजीवनी शक्ति दी हुई है । जिसका सीधा सम्बंध हमारे खान पान से है ।
अभी हाल में ही कुछ जागरूकता आई है इस विषय को लेकर । परंतु दुर्भाग्य यह है कि यह शोध भी व्यवसायीकरण की भेंट चढ़ गयी है । लोगों में यह तो विचार आया है कि प्रकृतिक भोजन की तरफ बढ़ें । परन्तु इसीलिए Organic Food के नाम से कुछ लोगों नें शहरों के सम्पन्न परिवारों के लिए भोजन तैयार किया है और उन्हे बेचने लगे । आम लोगों में यही साथ मे धारणा बनी कि प्राकृतिक भोजन तो महंगा है । आज तथाकथित सम्पन्न परिवार तीन गुणे से अधिक धन लगा कर जिस भोजन को प्राकृतिक के नाम से खरीद रहे हैं भगवान जाने वह प्राकृतिक है भी या नहीं । दरअसल प्राकृतिक भोजन के बनाने कोई बहुत अधिक धन का व्यय नहीं होता। असली किसान से जुड़े लोगों को मात्र यह परेशानी है कि वह विज्ञापन इत्यादि नहीं कर पाते । और जो विज्ञापन करते हैं उनके समान की कीमत मात्र विज्ञापन के कारण बढ़ जाती है । मूल रूप से भोजन महंगा नहीं है ।
यही हाल हाल में ही हुए चीनी उद्दयोग के कारण भी है, इसी के कारण आज मधुमेह का बोलबाला है । अब मधुमेह आगे बढ़ कर उच्च रक्त चाप और अनेक हृदय की बीमारियों का कारण बनता है । एक तो मधुमेह के मानकों को बदल कर अधिक से अधिक लोगों को इसकी दवाई के जाल में लाया जा रहा है दूसरे तरफ Sugar Free इत्यादि रसायनों के कारण अधिक लोग अन्य बीमारियों का शिकार बन रही हैं ।
ज़रा विचार करें आज भी किसान बहुत अधिक मीठे का प्रयोग करता है और इस बीमारी कि जड़ से दूर है । कारण स्पष्ट है कि वह आज भी प्राकृतिक गुड, शक्कर और खांड का प्रयोग करता है । अब प्रश्न यह है कि क्या कोई भी गुड, शक्कर का उपयोग करके आप बच सकते हैं तो उत्तर है कि जी हाइन परन्तु फिर भी यदि आपको शुद्ध मिले तो वय और भी बेहतर रहेगा । आज हमारे बीच www.khetcart.com के नाम से और www.saket.org.in के नाम से कई संस्थाएं वास्तव में किसानों के और देश के हित में काम कर रही हैं । आप इनसे संपर्क करके कम से कम सही कीमत पर प्राकृतिक भोजन प्राप्त करें और इस विषाक्त जीवन की बीमारियों से बचने का प्रयास करें । यदि आपके पास इसी प्रकार की संस्थाओं की जानकारी हो तो कृपया अवश्य साझा करें । कई बार हम इस प्रकार के प्रयासों को न करके इस स्वयं सेवी संस्थाओं के उत्साह वर्धन में कमी कर देते हैं ।
आप सब से अनुरोध है कि कम से कम सोश्ल मीडिया का उपयोग करके इन प्रयासों का उत्साह वर्धन करें । इस प्रकार से आप देश की दोहरी मदद करेंगे । एक तरफ तो आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर करेंगे और दूसरी तरफ देश के वह किसान और संगठन जो वास्तव मे देश को शुद्ध भोजन देना चाहते हैं, आप उनका भी उत्साह वर्धन करेंगे ।